
रवि रंजन |
राजेश राठौड़ ने कहा कि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के आंकड़ों के मुताबिक बिहार में 62 प्रतिशत लोगों के पास आज के दौर में भी शौचालय की सुविधा नहीं है।जबकि बिहार में पिछले 17 वर्षों से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के पद पर आसीन हैं। उनके पार्टी जदयू के द्वारा उन्हें विकास पुरुष बताया जाता है तथा सीएम नीतीश कुमार के द्वारा किए गए कार्यों के विकास गाथा का राग अलापा जाता है। मगर जब भी किसी नेशनल एजेंसी के द्वारा सर्वे किया जाता है,तो सच्चाई सामने आ जाती है।
उन्होंने कहा कि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार बिहार में आज के दौर में भी 62 प्रतिशत लोगों के पास शौचालय का ना होना तथा बड़ी संख्या में इलाकों को ओडीएफ घोषित करना ,अपने आप में किसी बड़े घोटाले का संकेत भी दे रहा है ।
उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार के द्वारा विकास के नाम पर जनता की आंखों में 17 वर्षों से धूल झोंका जा रहा है।विकास के झूठे आंकड़े राज्य सरकार पेश करते रही है। लेकिन निष्पक्ष एजेंसियों के द्वारा राज्य सरकार के आंकड़ों का खेल उजागर भी किया जाता रहा है।उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार को इस पर जवाब देना चाहिए।उन्होंने कहा कि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक देश के अन्य राज्यों में शौचालय की सुविधा बेहतर है।जबकि बिहार में 62% लोग अभी भी शौचालय की सुविधा से मरहूम है।
बिहार प्रदेश कांग्रेस मीडिया कमेटी के चेयरमैन राजेश राठौड़ ने कहा है कि अगर वाकई में बिहार की हालत शौचालय के मामलों में ऐसी है,तो सीएम नीतीश कुमार को एक जांच कमेटी के गठन करना चाहिए,जो इस सच्चाई का पता लगाएं कि एक तरफ प्रखंडों को ओडीएफ घोषित किया जाता रहा है।दूसरी तरफ नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक राज्य के 62% लोगों के पास शौचालय की सुविधा नहीं होने की सच्चाई उजागर की जा रही है।उन्होंने कहा कि बिहार की आम जनता को एनडीए सरकार के कागजों पर किए गए विकास के भ्रम जाल से बाहर निकलना चाहिए।