जून के महीने में बारिश का अभाव आगत सुखाड़ का संकेत. – नवादा |
बारिश की बेरुखी से सताने लगी सुखाड़ की चिंता

रवीन्द्र नाथ भैया |
आर्द्र नक्षत्र समाप्त होने में चार दिनों का समय शेष है. ऐसे में पर्याप्त बारिश के अभाव में खेती- बारी बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। ऐसे में किसान अभी से ही चिंतित दिखने लगे हैं। कहा जाता है कि जून के महीने में बारिश का अभाव आगत सुखाड़ का संकेत देता है। मानसून के बादल मंडरा रहे हैं लेकिन यह सिर्फ बूंदाबांदी अथवा हल्की बारिश तक ही सिमट कर रह जा रहा है। हाल यह है कि जून महीने में सामान्य वर्षापात जहां 134 एमएम होनी थी वहीं सिर्फ 33 एमएम बारिश ही हो सकी है। इस प्रकार जून महीने में सीधे-सीधे 100 एमएम बारिश कम हुई है। जबकि बारिश के अभाव के बीच 41.10 प्रतिशत ही धान के बिचड़े की बुआई जिले भर में हो सकी है।
हाल यह है कि बिचड़े लगाने में भी किसान पिछड़ते जा रहे हैं। बीच-बीच में बारिश के अभाव के कारण बिचड़े के खेत भी सूखने के कगार पर पहुंचते चले गए थे। यह तो राहत रही कि दो दिनों से रिमझिम ही सही, बारिश हो तो रही है। इस बीच, धान के बिचड़ों के अलावा समुचित बारिश के अभाव में मक्का, दहलन और तिलहन की रोपाई का कार्य भी जिले भर में प्रभावित हो रहा है.
जिले में 79 हजार हेक्टेयर में होनी है धान की रोपाई:- जिले में 79 हजार हेक्टेयर में धान की रोपनी होनी है और 7969.02 हेक्टेयर में बिचड़े की बुआई होनी है। अब तक 3275.51 हेक्टेयर में ही बिचड़े लगाए जा सके हैं, ऐसे में धान की रोपाई कब तक शुरू हो पाएगी, यह अधर में लटका पड़ा है। अभी तक जिले में सर्वाधिक 71 फीसदी वारिसलीगंज प्रखंड जबकि सबसे कम 17.35 फीसदी धान नर्सरी की बुआई सिरदला प्रखंड में हो सकी है।
मौसम की बेरूखी का हाल यह है कि पिछले जून में 341.7 एमएम बारिश नवादा में हुई थी और इस बार सामान्य वर्षापात भी नहीं हो सका। अब ले-दे कर किसानों को यही भरोसा है कि जुलाई माह में मानसून सबसे प्रभावी होता है। ऐसे में बस जुलाई माह का ही भरोसा रह गया है। वैसे जुलाई के तीन दिन निराशाजनक साबित हुआ है.
मौसम वैज्ञानिक भी अचंभित:- मौसम की बेरूखी को ले कृषि मौसम वैज्ञानिक भी अचंभित हैं। कृषि मौसम वैज्ञानिक रौशन कुमार ने बताया कि सारे मौसमीय आकलन और संख्यात्मक मॉडल बारिश का पूर्वानुमान बता रहे हैं लेकिन बारिश पूरी तीव्रता से नहीं हो पा रही है। यह असमंजस वाली स्थिति हो कर रह गयी है।