आयुर्वेद -होम्योपैथी डॉक्टर लिख रहे एलोपैथ की दवाई, संभाल रहे इमरजेंसी सेवा – नवादा |

रवीन्द्र नाथ भैया |
एलोपैथ के साइड इफेक्ट से बचाने और आयुर्वेदिक तथा होम्योपैथ दवाई का उपयोग बढ़ाने के लिए जिले में बड़े पैमाने पर आयुष चिकित्सकों की बहाली की गई। लेकिन जिस उद्देश्य से आयुष चिकित्सक बहाल किए गए वह पूरा नहीं हो पा रहा। आयुष चिकित्सक बहाल तो कर लिए गए लेकिन जिन चिकित्सा पद्धति में इन डॉक्टरों ने डिग्री ली है इस पद्धति की दवाई ही नहीं मिल रही।
जिले के सभी प्रखंड स्तरीय अस्पतालों में दो-दो आयुष चिकित्सकों की तैनाती की गई है लेकिन किसी भी पीएचसी व सीएचसी को आयुर्वेद या होम्योपैथिक दवाई नहीं मिली।
इतना ही नहीं जिले के आयुष चिकित्सकों को फील्ड में रहकर विद्यालयों में बच्चों के स्वास्थ्य की मॉनिटरिंग और उपचार का काम करना है लेकिन इससे ज्यादा वे पीएससी की ओपीडी और इमरजेंसी सेवा में लगे रहते हैं। खुद आयुष चिकित्सक इस बात को लेकर रोज जाहिर करते हैं।
स्वास्थ्य केंद्रों में आयुष चिकित्सकों से नियम के विरुद्ध कार्य लिया जा रहा है। इन चिकित्सकों से ऐलोपैथ की दवा लिखवाई जा रही है। जिसका कई सरकारी एवं गैर सरकार संस्थाओं ने विरोध किया है। इन चिकित्सकों को इमरजेंसी रात्रि ड्यूटी भी दी जाती है। जबकि रात्रि ड्यूटी देने की सहमति स्वास्थ्य विभाग ने भी नहीं दी है। सदर अस्पताल, सीएचसी, पीएचसी और एपीएचसी में करीब 45 से अधिक आयुष चिकित्सक हैं।
इन संगठनों ने एलोपैथ लिखने की नहीं दी अनुमति:-
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ), सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडिया मेडिसीन (सीसीआइएम), सेंट्रल काउंसिल ऑफ होम्योपैथी (सीसीएच) और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ने आयुष चिकित्सकों को एलोपैथ दवा लिखने की अनुमति नहीं दी है। कई बार आपत्ति जाहिर होने के बाद मामला तूल पकड़ चुका है।
गाइडलाइन में आयुष चिकित्सकों को एलापैथ दवा लिखने का जिक्र नहीं है। साथ ही उनसे रात्रि ड्यूटी लेने का भी जिक्र नहीं है। इसके उलट चिकित्सकों से रात्रि डयूटी दी जाती है।
रात में आयुष चिकित्सक के जिम्मे होता है कई अस्पताल:-
जिले के कई पीएचसी व सीएचसी ऐसे हैं जहां रेगुलर और एमबीबीएस चिकित्सक छुट्टी मारते हैं और रात में अस्पताल को आयुष चिकित्सक के हवाले कर देते हैं। ऐसे में रात में आने वाले गंभीर मरीजों का प्राण संकट में रहता है। आयुष चिकित्सकों की भी अपनी मजबूरी है। आयुष चिकित्सकों ने कहा कि रात्रि ड्यूटी में गंभीर मरीज के आने पर उन्हें रेफर करने के सिवाय और कोई चारा नहीं है। क्योंकि आयुष चिकित्सकों को इमरजेंसी सेवा करने बाबत प्रशिक्षण भी नहीं दिया गया है।
कहती हैं सिविल सर्जन:-
शुरुआत के दिनों में कुछ आयुष दवाइयां मिली थी लेकिन उसके बाद से आयुर्वेदिक या यूनानी दवाएं नहीं आ रही है। ऐसे मूलतः आरबीएसके को विद्यालयों में बच्चों की स्वास्थ्य मॉनिटरिंग और उपचार के लिए लगाया गया है।
आयुष चिकित्सकों से ओपीडी या इमरजेंसी ड्यूटी करने को नहीं कहा जाता है। अगर कहीं ऐसा हो रहा है तो इसको लेकर कार्रवाई की जाएगी।