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ज्ञानवापी मस्जिद से पहले था मंदिर, मंदिर तोड़कर बनाई मस्जिद , जाने AMU के प्रोफेसर ने क्या कहा ….- अलीगढ़

AMU के पूर्व प्रोफेसर व जिला मुफ़्ती जाहिद खान ने कहा

अजय कुमार |

उत्तर प्रदेश | अलीगढ़ में जिला मुफ्ती एवं अलीगढ़ AMU के पूर्व प्रोफेसर जाहिद मुक्ति ने ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि एक हिंदू राजा औरंगजेब के शासनकाल में गंगा स्नान करने के लिए वहां गए थे। गंगा स्नान के बाद हिंदू राजा जब औरंगजेब के साथ वहां मूर्ति के दर्शन करने पहुंचे। तो वहां से एक रानी गायब पाई गई थी। जब रानी को तलाशा तो रानी नग्न अवस्था मे तहखाने में मिली और उनके साथ दुष्कर्म हुआ था, लिहाजा उस दौरान हिन्दू राजा ने कहा कि रानी के दुष्कर्म के बाद ये जगह अपवित्र हो गयी है और इस जगह को ढहा दिया जाए, उसी दौरान सहमति से उस मंदिर को ढहा दिया गया और वहां मस्जिद बना दी गयी थी, हालांकि वहां की जो मूर्तिया थी वो वहीं इधर की उधर कर दी गयी थी।

अलीगढ़: ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग नुमा पत्थर निकलने के बाद देश भर में राजनीति गरमा गई है। पत्थर मिलने के बाद हिन्दू धर्म के लोगों का कहना है कि मस्जिद में मिला पत्थर शिवलिंग है। वहीं मुस्लिम समुदाय ने उस पत्थर को फब्बारे होने का दावा किया है। पत्थर मिलने के बाद मामला न्यायालय में पहुंच गया है, और उस पत्थर को जांच एजेंसियों के हवाले करते हुए मामला न्यायलय में विचाराधीन है। वहीं इस मामले के बाद देश मे फिर एक बार हिन्दू मुस्लिम राजनीति शुरू हो गयी। वहीं पत्थर मिलने के बाद राजनैतिक पार्टियों ने तरह तरह की बयानबाजी भी शुरू कर दी है।

यूपी के अलीगढ़ जिले में ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर जिला मुफ्ती एवं एएमयू के पूर्व प्रोफेसर मुफ्ती जाहिद का कहना है कि सरकार और विपक्ष में बैठे लोगों के साथ ही बड़े पेट वाले लोग ये सब मिलकर देश को लूटने में लगे हुए हैं। आरोप लगाया कि देश को लूटने में य सभी लोग एक दूसरे की मदद भी कर रहे हैं। कहां पब्लिक का असल मुद्दों से ध्यान हटाने और भटकाने की ये सिर्फ इन लोगों की तरकीब हैं। जो पहले भी बाबरी मस्जिद को लेकर कामयाब हो चुकी है।क्योंकि बाबरी मस्जिद को लेकर भी करीब 40 वर्षों से ज्यादा सियासत चली थी। ऐसे ही ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर भी इन लोगों की 20 से 25 साल सियासत करने में निकल जाएगी। ऐसे ही यह लोग एक से दो मसले और निकाल लेंगे। जिन मसलों पर इन लोगों की सियासत आगे भी इसी तरह चलती रहेगी। जबकि इनका मानना है कि जिन मसलों को लेकर सियासत की जा रही है इस तरह के यह मसले है नहीं जिन पर यह लोग सियासत करने में जुट हुए हैं।

जबकि इस तरह के मसलों को लेकर एक एक्ट बन चुका है। जिस एक्ट के तहत बाबरी मस्जिद के अलावा किसी भी धार्मिक स्थल का 15 अगस्त 1947 में जो उस धार्मिक स्थल के हैसियत थी। आज भी उस धार्मिक स्थल की वहीं हैसियत रहेगी। इसको बदला नहीं जाएगा। जबकि उनका मानना है कि 15 अगस्त 1947 को ज्ञानवापी मस्जिद थी। लिहाजा ये मस्जिद ही रहेगा। जिस पर कोई तब्दीली नहीं हो सकती हैं।

इसके साथ ही कहा कि उनके द्वारा जो कहानियां सुनी गई थी। उसमें कांग्रेस के सीता रमैया ने सुभाष चंद्र बोस के सामने चुनाव लड़ा था। जिसके नाम में कांग्रेस के सीता रमैया चुनाव हार गए थे। जिसमें महात्मा गांधी ने सीता रमैया से कहा था तुम्हारी हार उनकी खुद की हार हैं।

उनके द्वारा ये कहानी लिखी गई है कि एक हिंदू राजा औरंगजेब के शासनकाल में वहां गए हुए थे और हिंदू राजा ने वहां गंगा स्नान करने के बाद औरंगजेब से ये भी कहा था कि हम मूर्ति के भी दर्शन करना चाहते हैं। जब हिंदू राजा औरंगजेब के साथ मूर्ति के दर्शन करने पहुंचे तो वहां से एक रानी गायब पाई गई थी। वो मंदिर अकबर के शासन काल में सरकारी खजाने से उस वक्त राजा टोडरमल फाइनेंस मिनिस्टर थे तो वहीं राजा मानसिंह चीफ ऑफ द आर्मी व डिफेंस मिनिस्टर थे। उस दौरान इन दोनों ने मिलकर सरकारी खजाने से वहां पर मंदिर बनाया था।तो उसी दौरान जब औरंगजेब व एक हिंदू राजा वहां गंगा स्नान के बाद दर्शन करना चाहते थे। तब वहां से एक रानी गायब पाई गई। रानी के गायब होने की शिकायत राजा से की गई। जिसके बाद गायब हुई रानी को जब तलाश किया गया तो गायब हुई रानी नग्न अवस्था में तहखाने के अंदर मिली। जहां उसके साथ तहखाने के अंदर रेप किया गया था। लिहाजा उस दौरान उन हिन्दू राजाओं ने कहा कि रानी के दुष्कर्म के बाद ये जगह अपवित्र हो गयी है, और इस जगह को ढहा दिया जाए। उसी दौरान उन लोगों ने अपनी सहमति से उस मंदिर को ढहा दिया गया।फिर उन लोगों ने उसी दौरान दस्तखत करके फरमान लिखा गया था। जो फरमान आज भी मौजूद है। जिस फरमान को औरंगजेब के द्वारा बहुत मुश्किल से माना गया था। जिसके बाद मंदिर के उस हिस्से को मस्जिद बना दी गयी थी। इसके साथ ही मंदिर का बाकी पवित्र हिस्सा उसी तरह बरकरार रहा हैं। जबकि रानी के साथ रेप होने के बाद मंदिर का अपवित्र हिस्सा तोड़कर मस्जिद बनाते हुए इधर से उधर कर दिया गया था। जो मूर्तिया थी वो वहीं इधर की उधर कर दी गयी थी।

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