
रवीन्द्र नाथ भैया |
जिले में कड़ाके की गर्मी पड़ रही है। सूर्य की तपिश कुछ इस कदर कड़ी है कि शरीर पूरी तरह से झुलस रहा है। धूप में चंद मिनट खड़ा होने पर शरीर में जलन महसूस होने लगती है।
चैत के महीने में इस कदर की भयावह गर्मी ने समाज के हर तबके को परेशान कर रखा है। जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। दोपहर में स्कूल से घर लौटने वाले बच्चे व उनके अभिभावक परेशान है। मनुष्यों के साथ ही पशु-पक्षी भी गर्मी से बचने का उपाय ढूंढ रहे हैं। रोजेदारों की परेशानियां है सो अलग
शनिवार को अधिकतम तापमान 42 डिग्री और न्यूनतम तापमान 24 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वैसे तापमान भले ही 42 डिग्री दर्ज की गई हो, लेकिन महसूस 43-44 डिग्री के आसपास वाली रही।
धूप की कड़ी तपिश से बचने के लिए लोग छाते का इस्तेमाल करने लगे हैं। गमछा या अन्य प्रकार के कपड़ों से शरीर को पूरी तरह ढंक कर ही बाहर निकल रहे हैं। भीषण गर्मी का आलम यह है कि दस बजते बजते बाजार की सड़कों पर सन्नाटा पसरने लगा है। आवश्यक काम पड़ने पर ही लोग घरों से बाहर निकल रहे हैं। गर्मी के कारण लोगों के गले सूख रहे हैं। इसलिए गले को तर करने के लिए कोल्ड ड्रिक, लस्सी, आइसक्रीम, गन्ने का जूस, ठंडा पानी, सत्तू आदि का सेवन कर रहे हैं।
प्याऊ चलाने की मांग
– भीषण गर्मी को देखते हुए बाजार में खरीदारी करने पहुंच रहे लोगों को काफी परेशानी हो रही है। खासकर पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा है। ग्रामीण इलाकों से बाजार पहुंच रहे लोगों को पानी के लिये इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। गला को तर करने के लिए जेब ढीली करनी पड़ रही है। ऐसे में लोगों ने जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए प्याऊ की व्यवस्था कराने की मांग की है।