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स्वच्छता मामले में जिला फिसड्डी , कागजों में सिमटा एनजीटी का आदेश – नवादा |

रवीन्द्र नाथ भैया |

जिले में स्वच्छ भारत मिशन की हवा निकल गयी है। मुख्य मार्गों पर कूड़े-कचरा का अम्बार लगा है। गर्मी के दिनों में भी में नाले-नालियों का पानी सड़कों पर बहता रहता है।
नगर परिषद क्षेत्र के द्वारा घर-घर से न कूड़ा उठाव किया जा रहा है, न तो ठोस अपशिष्ट का प्रसंस्करण और निपटान। हां, करीब 2.5 साल पहले वर्तमान के 33 वार्डों के करीब 18 हजार घरों में कूड़ा संग्रहण को नीला और हरा डस्टबिन जरूर बांट दिया गया था। एक में गीला कचरा जमा करना था, तो दूसरे में ठोस। गीले कचरे को प्रसंस्कृत करके खाद बनानी थी, तो ठोस कचरों का प्रसंस्करण कर लैंडफिल होना था। लेकिन ये सभी योजनाएं और नियम-कानून फाइलों में सिमट कर रह गया। आलम यह है कि घरों में नीले-हरे डस्टबिनों में कूड़ा-कचरा रखने के बजाय अन्य सामग्रियों का भंडारण हो रहा है।
इधर, ठोस कूड़ा प्रबंधन के तहत कूड़ा प्रसंस्करण के लिए जमीन चिन्हित है, लेकिन कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है। फिलहाल, नगर परिषद क्षेत्र की साफ-सफाई एवं अपशिष्ट प्रबंधन की जिम्मेवारी पाथ्या व समाधान सेवा समिति के संयुक्त उपक्रम को सौंपी गई है। जिसके द्वारा शहर की सड़कों की सफाई, नाले-नालियों की उड़ाही के साथ-साथ घर-घर से कूड़ा उठाव किया जाना है। लेकिन विभागीय दिशा-निर्देश ताक पर रखा हैं। स्थिति इस कदर बदतर होती जा रही है कि शहर भर का कूड़ा-कचरा का उठाव कर खुरी नदी में डंप किया जा रहा है। नदी किनारों पर जमा कूड़े के ढेर में आग लगा दी जा रही है, जो आसपास के नागरिकों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रही है।
जिले में प्रदूषणजनित रोगों के बीमारों की संख्या बढ़ी है। लेकिन विभाग इन मुद्दों पर कुछ भी करने को तैयार नहीं। इधर, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा पारित आदेश कागजों में सिमटा है, आदेशों की अवहेलना धज्जियां उड़ाई जा रही है।
शहरी विकास मंत्रालय की योजना, धरातल से कोसों दूर :- भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय के अंतर्गत राज्य के सभी नगर निकायों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन-2016 का क्रियान्वयन होना है। लेकिन यह अभियान अबतक धरातल से कोसों दूर है। करीब 03 साल पहले राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने आदेश जारी कर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली 2016 को क्रियान्वित करने का निर्देश दिया था। इसके तहत कचड़े को ठोस व गीला में वर्गीकृत करते हुए अलग-अलग उठाव किया जाना था। इन कूड़े-कचरे को प्रसंस्कृत करते हुए खाद का निर्माण होता, साथ ही लैंडफिल साईट का चयन करते हुए कूड़े-कचरे के प्रबंधन पर भी जोर देना था। लेकिन विगत तीन वर्षों के दौरान इनमें से एक भी कार्य प्रारम्भ नहीं हो सका है।
लैंडफिल साईट पड़ा है बेकार, नहीं होता कोई कार्य:- कूड़ा निस्तारण को लेकर एनजीटी द्वारा कई दिशा-निर्देशन हुए है, लेकिन इनके क्रियान्वयन पर काम होना बाकी है। आदेश के वक्त नगर निकायों में सैनेटरी लैंडफिल को विकसित करने के लिए छह महीने की समय-सीमा निर्धारित थी। लेकिन कई महीना बीतने के बाद भी लैंडफिल साईट का काम पूरा नहीं हुआ है। नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा 02 अप्रैल 2019 को पत्रांक संख्या 936 जारी करके सैनेटरी लैंडफिल साईट विकसित करने का निर्देश मिला। लेकिन नवादा नगर परिषद के पदाधिकारियों द्वारा इस मिशन पर अबतक कोई ठोस कार्य नहीं किया जा सका है।
नगर परिषद के सनोखरा में चिन्हित लैंडफिल साइट बेकार पड़ा हैं। इन स्थलों पर कोई कार्य नहीं होता। इधर, कादिरगंज के पास घोसतावां में गीला कचड़ा को खाद में प्रसंस्कृत करने का काम होना था जो फिलहाल यूं ही पड़ा है।
खुरी नदी कूड़ा-कचरा डंप करने का बना है साईट:-
एनजीटी के निर्देशों के तहत शहर से पांच किमी की दूरी पर लैंडफिल साईट विकसित करना है, इसके लिए आवंटित 05 एकड़ जमीन चिन्हित करके कूड़ा-कचरा का प्रसंस्करण कार्य कराना है। जिला प्रशासन ने अकबरपुर प्रखंड के सनोखरा में करीब 05 एकड़ भूमि इस कार्य के लिए नगर परिषद को आ‌वंटित किया है। लेकिन इसे विकसित करने का कार्य अबतक प्रारंभ नहीं हुआ है।
इधर, खुरी नदीं शहरभर के कूड़े का डपिंग साईट बना है। क्षेत्र से कूड़े का उठाव करके लैंडफिल साईट पर प्रसंस्कृत करना है। इस प्रक्रिया के तहत कूड़े में शामिल कई तरह की सामग्रियों को छांटकर उसे रिसाईक्ल करना है, जिससे कूड़े-कचरे का अंबार नहीं लगे। इन सब दिशा-निर्देशों को दरकिनार करके मनमानी जारी है। खुरी नदी पर बने नए पुल के पास नदी की तट पर कूड़े को डंप किया जा रहा है।
स्वच्छता रैकिंग में भी फिसड़्डी :- स्वच्छ भारत मिशन अभियान के तहत नगर निकायों में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए नागरिकों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। राज्य सरकार के नगर विकास एवं आवास विभाग ने 2019 में ही बिहार नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन मॉडल उपविधि 2019 को प्रशासनिक स्वीकृति दे दी थी। लेकिन शहर को साफ-सुथरा रखने और स्वच्छता को अपनाने में नगर परिषद फिसड्डी साबित हो रहा है। ईस्ट जोन में 2021 के स्वच्छता रैकिंग में 50 हजार से 01 लाख की आबादीवाले शहर में नगर परिषद का 39वां स्थान रहा।
फिलहाल, शहरी क्षेत्र को विस्तार देते हुए आसपास के गांवों को नगर परिषद क्षेत्र में शामिल किया गया है और अब इसे 44 वार्ड का बना दिया गया है। क्षेत्र विस्तार के साथ कार्य में भी विस्तार हुआ है। लेकिन एजेंसी की कार्यशैली में कोई बदलाव नहीं दिखता। एनजीटी के मानकों के अनुसार सारे कार्य ठप पड़े हैं।
चरणबद्ध ढंग से क्रियान्वित करानेका निर्देश :- नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी कन्हैया कुमार ने बताया कि विगत दो वर्ष कोरोना संक्रमण काल में गुजरा, कई कार्य पूरा नहीं हो सका। अब एनजीटी के अंतर्गत जारी दिशा-निर्देशों को चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वित कराया जायेगा। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए सनोखरा में साईट चिन्हित है।
फिलहाल, इसपर ग्रामीणों का अवैध कब्जा है। जल्द ही प्रशासन इसे कब्जामुक्त कराके भूमि नगर परिषद को देगी। जिसके बाद यहां कार्य शुरु किया जायेगा। बायो-डिग्रेडेबल कचरे से खाद बनाने के लिए घोसतावां में स्थल मिल चुका है, चहारदीवारी बनाने का काम होना है। इसके बाद यहां जैविक खाद तैयार किया जायेगा।
नगर परिषद क्षेत्र में डोर-टू-डोर कूड़ा उठाव कराने पर जोर है। नागरिकों को गीला और सूखा कचरा अलग-अलग करके देने को लेकर प्रेरित किया जायेगा। स्वच्छता के प्रति लोगों में जागरुकता लानी होगी। शहर की सब्जी मंडी में बायो-कंपोस्ट खाद बनाने की मशीन लगाने पर भी कार्य होना है। सबकुछ ठीक रहा तो नगर परिषद स्वच्छता रैकिंग में बेहतर प्रदर्शन करेगा।

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