
जीआई टैग मिलना एक जटिल प्रक्रिया, एक वर्षों से किया जा रहा है अथक प्रयास
जीआई रजिस्ट्री, चेन्नई से प्राप्त दिशा-निर्देशों को एक अविलंब पूर्ण कराने का निदेश
जिलाधिकारी की अध्यक्षता में समीक्षात्मक बैठक सम्पन्न
डॉ0 एन0 के0 सिंह, वैज्ञानिक , आरपीसीएयू से जिलाधिकारी ने की वार्ता
सतेन्द्र पाठक |
बेतिया। पश्चिमी चम्पारण जिले के मरचा चूड़ा को वैश्विक पहचान दिलाने हेतु जीआई टैग के लिए जिला प्रशासन द्वारा हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। जिलाधिकारी, पश्चिमी चम्पारण के दिशा-निर्देश के आलोक में अधिकारियों की एक पूरी टीम मरचा चूड़ा को जीआई टैग दिलाने के लिए करीब एक साल से कार्य कर रही है। यह प्रयास अब अंतिम चरण में है, शीघ्र ही जिले के मरचा चूड़ा को जीआई टैग मिलने की प्रबल संभावना है। इस दौरान जिलाधिकारी द्वारा कार्य प्रगति की लगातार समीक्षा की जाती रही है।
ज्ञातव्य हो कि जीआई टैग हेतु डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विद्यालय, पूसा के वैज्ञानिकों द्वारा मरचा धान का डीएनए फिंगर प्रिंटिंग का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। मरचा धान/चूड़ा का निबंधन (जीआई टैग) हो जाने के बाद मरचा धान के चूड़ा की मांग देश-विदेशों में पूरी की जा सकेगी। इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी तथा रोजगार भी वृद्धि होगी।
मरचा धान को जीआई टैग दिलाने के लिए आवश्यक एक्सपेरिमेंट पिछले एक साल से किया जा रहा है। जीआई स्पेस्फिक एरिया और नन जीआई एरिया में मरचा धान का उत्पादन किया जा रहा है। मरचा धान के प्लांट को केवीके, माधोपुर में भी लगाकर उस पर स्टडी किया गया है। पश्चिमी चम्पारण जिले के विकास में मरचा चूड़ा को जीआई टैग मिलना अत्यंत ही कारगर साबित होगा। इससे किसानों का जहाँ आर्थिक विकास होगा वहीं रोजगार बढ़ाने में भी मददगार साबित होगा।
इसी परिप्रेक्ष्य में जिलाधिकारी, कुंदन कुमार की अध्यक्षता में समीक्षात्मक बैठक सम्पन्न हुई। समीक्षा के क्रम में वरीय उप समाहर्ता द्वारा बताया गया कि जीआई रजिस्ट्री, चेन्नई द्वारा कुछ दिशा-निर्देशों का अनुपालन करने हेतु निदेशित किया गया है। दिशा-निर्देशों के अनुरूप एक्सपेरिमेन्टल डेटा/रिपोर्ट का कार्य पूर्ण कर लिया गया है, शीघ्र ही जीआई रजिस्ट्री, चेन्नई को उपलब्ध करा दिया जायेगा।
उन्होंने बताया कि मरचा धान के डीएनए का अन्य दूसरे सुगंधित धानों के डीएनए से कंपेयर भी कर लिया गया है जिसमें मरचा धान में यूनिकनेस का पता चला है। उन्होंनने बताया कि इसी क्रम में विगत दिनों डॉ0 एन0के0 सिंह, वैज्ञानिक, आरपीसीएयू के साथ जिलाधिकारी की समीक्षात्मक बैठक भी हुई है। उनके मार्गदर्शन में एक्सपेरिमेन्टल डेटा एवं रिपोर्ट को तैयार कर लिया गया है, जिसे जीआई रजिस्ट्री, चेन्नई भेजा जा रहा है।
जिलाधिकारी ने मरचा चूड़ा को जीआई टैग मिलना एक जटिल प्रक्रिया है। इस कार्य में संलग्न सभी अधिकारियों का कार्य सराहनीय है। उन्होंने कहा कि मरचा चूड़ा को जीआई टैग मिलना पश्चिम चम्पारण जिले के लिए एक बेहतरीन उपलब्धि होगी। पूरी दुनिया यह जान सकेगी कि मरचा चूड़ा/धान का उत्पादन सिर्फ और सिर्फ पश्चिम चम्पारण जिले में ही होता है।
इस अवसर पर वरीय उप समाहर्ता, राजकुमार सिन्हा सहित अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे।