विकलांगता का दूसरा बड़ा कारण फाइलेरिया:- सिविल सर्जन – नवादा |
सदर अस्पताल में एमएमडीपी किट का किया गया शुभारंभ डीवीबीडीओ ने कहा प्रभावित अंग के हाइजीन का रखें ध्यान:

सिविल सर्जन ने कहा कि जिला में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है. फाइलेरिया को पूरी तरह समाप्त करने केा लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा समुदाय स्तर पर लोगों को जागरूक किया जा रहा है.
विश्व में विकलांगता का दूसरा बड़ा कारण फाइलेरिया है. फाइलेरिया के कारण हाथीपांव हो जाता है. और जिला में ऐसे कई मरीज हैं जो इस गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं. ऐसे में उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने की हर कोशिश जारी है.
सिविल सर्जन डॉ निर्मला कुमारी ने कहा कि हाथीपांव होने का कारण मच्छर है. मादा मच्छर क्यूलेक्स के काटने से फाइलेरिया होता है.
फाइलेरिया से बचाव के लिए साल में एक बार दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जाता है. ऐसे कार्यक्रमों में लोगों की सहभागिता आवश्यक है. साथ ही स्वास्थ्यकर्मी अपने अपने क्षेत्र में हाथीपांव और हाइड्रोसील के मरीजों को चिन्हित कर उनकी जरूरी मदद करें. बताया कि गंभीर रूप से हाथीपांव से ग्रसित लोग विकलांगता की श्रेणी में शामिल होते हैं और अब उन्हें सरकार की ओर से वित्तीय सहायता का भी प्रावधान है.
सिविल सर्जन डॉ निर्मला कुमारी ने जिला स्वास्थ्य समिति सभागार में आयोजित एक प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कहीं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हाथीपांव के प्रबंधन के आयोजित स्वास्थ्यकर्मियों के इस प्रशिक्षण के दौरान जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आफताब कलीम मौजूद रहे.
प्रशिक्षण के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन के डॉ एजहिलारसन तथा केयर इंडिया के फाइलेरिया कार्यक्रम के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी विक्रम कुमार राणा ने फाइलेरिया रोगियों के इलाज व प्रबंधन पर आवश्यक जानकारी दी. इस दौरान सभी चौदह प्रखंडों के प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी, मेडिकल आफिसर, बीएचएम, बीसीएम, पंचायती राज प्रतिनिधि केना पंचायत नीतीश राणा व अन्य शामिल हुए.
प्रशिक्षण के दौरान जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी ने कहा कि फाइलेरिया रोग होने के बाद इसका कोई इलाज मौजूद नहीं है, जिन्हें हाथीपांव या हाइड्रोसील के मरीज हैं उन्हें अपने उन प्रभावित अंग के हाइजीन का ध्यान रखना होगा।. उन्होंने बताया कि फाइलेरिया की रोकथाम व हाथीपांव के मरीजों की सहायता के लिए विशेष एमएमडीपी क्लीनिक खोला गया है.
उन्होंने कहा कि प्रखंड स्तर के पदाधिकारी अपने क्षेत्र की आशा, एएनएम तथा उस क्षेत्र में मौजूद हाथीपांव के मरीजों के साथ बैठक कर उन्हें इस संबंध में जानकारी दी जाये. तथा एमएमडीपी किट के माध्यम से मरीजों को साफ—सफाई की जानकारी देनी जरूरी है.
प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि हाथीपांव होने के बाद उस पैर को साफ सुथरा रखना बहुत जरूरी है. हाथीपांव को किसी प्रकार के संक्रमण, चोट या जख्म से बचाना होता है. यदि ऐसा नहीं किया गया तो यह और भी गंभीर हो जाता है.
इस दौरान सिविल सर्जन ने एमएमडीपी क्लीनिक का मुआयना किया और मौजूद स्वास्थ्यकर्मियों को आवश्यक निर्देश दिया. कहा कि यह क्लीनिक सदर अस्पताल में खोला गया है. एमएमडीपी क्लीनिक खुलने से फाइलेरिया रोग के प्रबंधन करने में आसानी होगी. यहां से फाइलेरिया मरीज विभिन्न प्रकार की मदद पा सकेंगे. पदाधिकारी डॉ आफताब कलीम ने कहा. उन्हें हाथीपांव के साफ—स्फाई के बारे में आवश्यक जानकारी जरूर दें.
जिला के विभिन्न प्रखंडों में फाइलेरिया मरीजों द्वारा पेसट सपोर्ट नेटवर्क भी तैयार किया गया है. इस नेटवर्क के माध्यम से हाथीपांव के मरीज आपस में बीमारी से बचाव, रोग संबंधी नई जानकारियां, साफ—सफाई रखने, आदि की जानकारी साझा करते हैं।