8 खदानों में अवैध-खनन जोरों पर- बांदा |

सहजाद अहमद |
उत्तर प्रदेश :“बाँदा में खनिज अधिकारी और प्रशासन की सह पर अछरौड़, खप्टिहा 100/3 और अमलोर – 8 खदानों में अवैध-खनन जोरों पर, नदियों और जीव-जंतुओं का अस्तित्व खतरे में, रोजाना लाखो जीव-जन्तुओ की हो रही है मौतें, सरकार को लगाया जा रहा करोड़ो के राजस्व को चूना”|
बाँदा जनपद में गर्मी की शुरवात होते ही पानी की समस्या पैदा हो जाती है, हर तरफ पानी के लिए त्राहि-2 मची हुई है, वही जनपद में अवैध खनन और ओवरलोड ट्रकों का बोलबाला रहता है और प्रशासन इस पर रोक लगाने में असफल है । जनपद का किसान कभी सूखे की मार, तो कभी अनावृष्टि और ओलावृष्टि से पीड़ित हो रहा हैं लेकिन इन यातनाओं में प्रकृति के साथ-साथ यहां के खनन माफियाओ की किसानों और नदियों को बरबाद करने मे इनकी अहम भूमिका नजर आती है । बाँदा की अधरौड़, खप्टिहा 100/3 और अमलोर खण्ड – 8 में इन दिनों अवैध-खनन जोरो पर है । स्थानीय ग्रामीण गांव छोड़कर जाने को भी मजबूर हो गए हैं पर प्रशासन की मिलीभगत से रात-दिन ओवरलोड ट्रको की धमाचौकड़ी रहती है जिनमे दर्जनों ट्रक थाने-चौकी के सामने से बिना रवन्ना के गुजरते हैं । वहीँ सूत्रों के अनुसार अमलोर खण्ड – 8 खदान के अज़हर और अछरौड़ खदान के अग्रवाल जी को मीडिआ की खरीद फरोक का काम दिया गया है जो की मीडिआ कर्मियों को खरीदने में जुट गए हैं । वही खदान संचालक खबरों को प्रकाशित ना होने का दावा करते हुए अपने आप को लखनऊ तक पकड़ वाला बताते हैं । जब इस बाबत प्रशासनिक अधिकारियो और खनिज अधिकारी से जानकारी माँगी जाती है तब वह अवैध खनन में कुछ भी बोलने से कतराते नजर आते हैं जिससे साफ़ जाहिर है की अवैध खनन के इस काले खेल में इनकी भी सहभागिता शामिल है । अगर ऐसा ही चलता रहा तो बहुत जल्द नदियों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा ।
देश की सरकार किसानों की तकदीर और तस्वीर बदलने की लगातार बड़े-२ मंचो से कवायते कर रही है, किसानों की हालात को सुधारने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ हर भरसक प्रयास करने में लगे है लेकिन वही खनन माफियाओं ने बुंदेलखंड के बांदा के किसानों की माली हालत को खराब करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रखी हैं । यहां के किसान कभी सूखे की मार, कभी अनावृष्टि और कभी ओलावृष्टि से पीड़ित हैं लेकिन इन यातनाओं में प्रकृति के साथ-साथ यहां के खनन माफिया अवैध-खनन करने से बाज नहीं आ रहे हैं, किसानों और नदियों को बरबाद करने मे इनकी अहम भूमिका नजर आती है । हम बात कर रहे हैं बाँदा की अधरौड़, खप्टिहा 100/3 और अमलोर खण्ड – 8 कि जहाँ जमकर अवैध-खनन हो रहा है, यहाँ बड़ी-2 मशीनों से नदी का सीना छन्नी करके रात-दिन मोरम निकाली जा रही है । खप्टिहा – खण्ड 100 / 3 के पट्टाधारक पूर्वांचल के राय जो की अपने आप को प्रधान सम्पादक बताते हैं, इन्होने नदी आ रास्ता काटकर अवैध पुल निर्माण कर लिया था जिसको कुछ दिन पझले प्रशासन में तुड़वा दिया है पर इसके बाद भी ये वैध-खनन करने से बाज नहीं आ रहे हैं । अवैध-खनन के चलते किसानों की हजारों हेक्टेयर भूमि सिंचाई के अभाव में पूरी तरह से सूखने की कगार पर है और इन किसानों की हालत दिनों-दिन बदतर होती चली जा रही है । इन खदानों में अवैध खनन के चलते खुदाई के कारण यहां की नहरों का पानी सूख चुका है, नहर में जो पानी बचा हुआ है वह खेतों तक नहीं पहुँच पा रहा है और इसका सिर्फ एक कारण है खदानो मे भारी मशीनों से खनन होना ।
वर्तमान में सत्ता की हनक के चलते खदान संचालक यहां पर अवैध खनन करवा रहे हैं, इससे पहले इन खदानो पर अवैध खनन खनन की कार्यवाही भी हो चुकी है पर इसके बावजूद भी ये अवैध-खनन से बाज नहीं आ रहे हैं । नदियों के बीच में चल रही पोकलैंड मशीनो से लाखो जीव जन्तुओ का मौते हो रही है जिससे इनका अस्तित्व की समाप्ति साफ नजर आ रही है । अवैध-खनन के इस काले खेल से हर साल सरकार को करोडो के राजस्व का नुकसान हो रहा है पर सरकार के नुमाइंदे आँख बंद किये बैठे हैं । नदी पूरी तरह से सूखने की कगार पर है, नहर का पानी पूरी तरह से सूखने की कगार पर है । जब किसानों द्धारा इसकी शिकायत जिलाधिकारी या अन्य अधिकारियों से करते हैं तो यहां इनकी शिकायत सत्ता के दबाव में चलते कोई सुनाई करने वाला नहीं है । इस अवैध खनन के चलते यहा की नदियों की शक्ल सूरत तो ये माफिया बिगाड़ ही रहे है, वही इन किसानों को भी दिनों दिन ये माफिया उनकी बदहाली को बढ़ावा देने में जुटे हैं । अब देखना ये होगा की क्या प्रशासन और खनिज अधिकारी कुंभकर्णी नींद से जागकर इन खनन-माफियाओ पर कार्यवाही करते है या फिर खनन माफियाओं के साथ मिलकर अपनी जेबो को भरने में लगे रहेंगे और इससे अपना मुँह फेर लेते हैं, ये तो आने वाला समय ही बतायेगा ।