
नवादा : जिले में बालू चोरी का धंधा थमने का नाम नहीं ले रहा है। खनन व पुलिस प्रशासन धंधे पर रोक लगाने में विफल साबित हो रही है।
ताज़ा मामला उग्रवाद प्रभावित मेसकौर प्रखंड का है । इलाके में बालू तस्करी का धंधा जोरों पर है। इस बावतअंचल अधिकारी अभिनव राज ने बताया कि घाटों की नीलामी नहीं हुई है, इसलिए नदी से बालू उठाव पूरी तरह प्रतिबंधित है। बावजूद तुंगी स्थित दाढ़र नदी से हर दिन करीब 200 ट्रैक्टर बालू मेसकौर प्रखंड क्षेत्र में पहुंच रहा है। रात के अंधेरे में ट्रैक्टर और हाइवा के जरिये बालू की तस्करी हो रही है। ट्रैक्टर तुंगी मंझवे सड़क से होकर मेसकौर प्रखंड क्षेत्र तक आता है, फिर बड़ोसर, बेलवान, एसएच 103 के रास्ते मेसकौर प्रखंड क्षेत्र के इलाके में बालू पहुंचाया जाता है।
मेसकौर में बालू की कीमत 2500 से 3000 रुपये प्रति ट्रैक्टर है। बालू माफिया ही प्रखंड व अंचल क्षेत्र में बन रहे करोड़ों के सरकारी भवनों में बालू की आपूर्ति कर रहे हैं। प्रखंड से गुजरने वाले एस एच 103 पर भारी मात्रा में बालू डंप किया गया है। इसका इस्तेमाल भवन निर्माण में हो रहा है।
पंचायत भवन बना रहे संवेदक एवं ठीकेदारों ने माना कि वह ब्रोकरों के जरिए बालू खरीद रहे हैं। उन्होंने बताया कि बालू चोरी का हो सकता है, इसकी संभावना ज्यादा है। प्रखंड प्रमुख संतोष कुमार ने बताया कि मेसकौर में बालू का अवैध कारोबार चरम पर है। सरकारी और निजी भवन चोरी के बालू से बन रहे हैं। आम लोगों को महंगे दामों पर बालू खरीदनी पड़ रही है। खनन व पुलिस प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है।
समाजसेवी अखिलेश सिंह ने बताया कि वर्षों से बालू घाटों की नीलामी नहीं हुई है। फलत: यहां चोरी का बालू धड़ल्ले से पहुंचने के कारण सरकारी राजस्व को जबर्दस्त नुकसान पहुंच रहा है।