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अकेलापन बना केदारलाल परिवार के सामूहिक सुसाइड की वजह? – नवादा |

केदारलाल पर 12 लाख का था कर्ज, बड़े कर्जदारों का ब्याज चुकाने में हो गए कई छोटे महाजनों का कर्जदार
केदारलाल गुप्ता की मौत की वजह को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि पूरी बात पुलिस अनुसंधान से स्पष्ट हो पाएगी।
इन कयासों के बीच आसपास के लोगों और परिजनों से बातचीत के आधार पर मौत की वजह सूदखोरों की प्रताड़ना ही बताया जा रहा है। जैसा कि मौत के पहले केदारलाल के बयान और सुसाइड नोट में जिक्र है। मूलधन का दोगुणा से अधिक राशि अदा करने के बाद भी मुक्ति नही मिली थी। बेटी साक्षी ने भी मौत की वजह सूदखोरी बताई है। दूसरी बेटी ने भी मौत की वजह कर्ज को बताई थी। केदारलाल पर 12 लाख का कर्ज था। जैसा कि मौत के पहले केदारलाल ने कहा था। लोग बताते हैं कि महाजन 5-20 प्रतिशत मासिक ब्याज पर कर्ज देते हैं। पांच प्रतिशत की दर से 60000 रुपए प्रतिमाह होता था। इसके अलावा दो दुकान, घर का किराया और परिवार का खर्च मिलाकर 80000 से 100000 रुपए अनुमानित है। इतनी राशि फल और चाट की दुकान से जुटाना संभव नहीं हो रहा था।
एसपी ने कहा:- डीएसपी के नेतृत्व में टीम गठित| एसपी डाॅ. गौरव मंगला ने बताया कि केदार लाल के भाई शंभूलाल के बयान के अधार पर सात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। केदारलाल और उनकी दो बेटियों के बयान के मुताबिक, कर्ज के दबाव में आत्महत्या की बात कही गई है। कांड का अनुसंधान और कार्रवाई के लिए डीएसपी के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की गई है।
केदारलाल ने किसी को नहीं बताई थी परेशानी, कई अफवाहें भी सहते रहें:-
कोरोना संक्रमण के समय से आमदनी प्रभावित थी। घर चलाना मुश्किल हो रहा था। पिछले साल 21 नवंबर को दूसरी बेटी ब्यूटी की शादी भी किए थे।
इस बीच एक अफवाह फैल गई थी कि केदार लाल नवादा छोड़कर जानेवाले हैं। लिहाजा, महाजन सख्ती बरत रहे थे और घरों पर धमकियां देने लगे थे। आपत्तिजनक बातें करने लगे थे। दुकानों से सामान उठाने लगे थे। ऐसे महाजनों से निपटने के लिए काफी दिनों तक कई छोटे सूदखोरों से कर्ज लेकर ब्याज अदा किए। बड़े सूदखोरों की ब्याजदरों के कारण उन्हें कर्ज से मुक्ति नही दिखी।
ऐसा माना जाता है कि वे खुद को अकेला मानने लगे, किसी को अपनी परेशानी शेयर नही किए और ऐसा गलत कदम उठा लिए।
केदारलाल परिवार का मजार से था पुराना नाता, हर हफ्ते जाते थे मजार:-
जिस मजार के समीप केदारलाल ने पत्नी, बेटे और तीन बेटियों के साथ सुसाइड किया, उस मजार से इस परिवार का पुराना नाता रहा है। बेटी गूंजा और बेटे अमित गुप्ता ने बताया कि वे लोग भी बचपन से जाते थे। केदारलाल के छोटे भाई शंभूलाल ने बताया कि उनका हलवाई समाज दोनों संप्रदाय में भरोसा रखते हैं। वे भी हर हफ्ते जाते हैं। उनके भाई भी जाते थे। जहां तक मौत का सवाल है तब विपदा में कोई नही सोचता कि मजार है कि दुर्गा मंडप। केदारलाल पर उनके बेटे बेटियों का अटूट विश्वास और स्नेह था।
बड़ी बेटी गूंजा ने बताया कि ऐसा परवरिश मिला था कि हम सभी पापा के फैसले का विरोध नही कर सकते थे। मैं रहती तो मैं भी नही टाल सकती थी।

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