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मत्स्य विभाग के टेंडर का जादुई खेल व भ्रस्टाचार – बांदा |

बिना नीलामी चहितो को दिया जाता है ठेका

 

सहजाद अहमद |

उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ भले ही प्रदेश को भ्रष्टाचार मुक्त और करप्शन से दूर रखने के लिए कितने भी प्रयास कर रहे हैं लेकिन उसके बाद भी जिले के अधिकारी इस भ्रष्टाचार के दलदल से बाहर नहीं निकलना चाहते हैं । जी हां हम बात कर रहे हैं प्रदेश के जनपदों में होने वाले विभागीय उन कामों की जिनका सरकारी तौर पर टेंडर नीलामी या बोली लगाई जाती है, उसी के माध्यम से ठेकेदारों को काम करने की अनुमति होती है लेकिन उत्तर प्रदेश के बांदा जनपद की अगर बात करें तो यहां पर कुछ और ही खिचड़ी पकने में लगी हुई है ।कहने का मतलब यह है कि यहां पर अधिकारियों के द्धारा ज्यादातर सरकारी योजनाएं अपने चहेतों को ही देदी जाती हैं, इनकी जानकारी ना तो अन्य ठेकेदारों को दी जाती है और ना ही जनता को इसकी जानकारी मिल पाती है, गुप्त रूप से ही अधिकारियों के द्धारा अपने चहेतों की जेब भरते हुए अपने भी यह भरने का काम किया जाता है ।

मामला बाँदा जनपद का है जहां ग्राम पंचायत स्तर पर मत्स्य विभाग के द्धारा नदी का ठेका होना था लेकिन मत्स्य विभाग के द्वारा वह टेंडर जिला पंचायत समिति को बिना किसी जानकारी और सूचना के ही दे दिया जाता था जब यह जानकारी ग्राम पंचायत समिति के लोगों को लगी तो इस बात उन्होंने भी अपने सभी दस्तावेज एकत्र करते हुए मत्स्य विभाग में होने वाले टेंडर में हिस्सा लिया बताते चले की मत्स्य विभाग का यह टेंडर बबेरू के तहसील में होना था जिसको लेकर ग्राम पंचायत समिति वा जिला पंचायत समिति ने अपने अपने दस्तावेज दाखिल किए थे जिसमें घंटो तक दस्तावेजों की जांच चलती रही उसके बाद अधिकारियों के द्वारा एक मिलाजुला जवाब देते हुए उस प्रक्रिया को समाप्त कर दिया गया और प्रतिभागियों को अग्रिम तारीख देते हुए जाने के लिए कह दिया गया । मत्स्य विभाग के अधिकारियों के द्धारा अग्रिम तारीख इसलिए दी गई है क्योंकि जिस तरह से पूर्व में जिला पंचायत स्तर पर नदी का ठेका दिया जा रहा था उसी को लेकर इस बार भी तारीख बढ़ा दी गई ।

वही जब विभागीय टेंडर में भाग लेने वाले ग्राम पंचायत समिति के सदस्यों से यह जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि आज मत्स्य विभाग के द्धारा नदी का अंडर होना था जिसको लेकर घंटो तक अधिकारियों के द्धारा कागजी प्रक्रिया की जा रही थी लेकिन अचानक उनके द्धारा अग्रिम तारीख देते हुए हम लोगों को जाने के लिए कह दिया गया । उन्होंने बताया कि जबकि मुख्यतः सरकार के इस टेंडर की प्रक्रिया का असली हकदार ग्राम पंचायत समिति ही होती है इसके बाद ब्लॉक स्तर तहसील स्तर फिर कहीं उसके बाद जिला पंचायत और फिर आगे प्रदेश स्तर पर इस टेंडर को दिया जाता है, लेकिन सर्वप्रथम वरी का की अगर बात करें तो ग्राम पंचायत समिति को ही दी जाती है लेकिन यहां पर अधिकारियों के द्वारा बीते कई वर्षों से जिला पंचायत स्तर पर इस मत्स्य विभाग का टेंडर दिया जा रहा है । इस बार ग्राम पंचायत स्तर पर यह टेंडर भरा गया है और अधिकारियों के द्धारा व सरकारी गाइडलाइन के आधार पर जो भी दस्तावेज कहे गए थे, हम लोगों के द्धारा सभी पूरे किए गए लेकिन उसके बाद भी अधिकारियों के द्धारा विभागीय अध्यक्ष ना होने की बात को कह कर यह पूरी प्रक्रिया अग्रिम तारीख तक के लिए टाल दी गई ।

मीडिया से बात करते हुए ग्राम पंचायत समिति के सदस्यों ने कहा कि कहीं ना कहीं जिले के मत्स्य विभाग अधिकारियों पर पूर्व ठेकेदार का दबाव है जिसकी वजह से इनके द्वारा यह अग्रिम तारीख दी गई है ताकि इन दिनों इनके द्वारा कागजों में फिर करते हुए उन्हें पूर्व ठेकेदार को ही ठेका दिया जा सके । हम लोगों ने जब अधिकारियों से अपने पूरे कागज कंप्लीट होने और तारीख आगे बढ़ाने की लिखित बात लिखकर मांगी दो उन्होंने लिखने से मना कर दिया और वहां से पल्ला झाड़ कर निकल गए हम लोग यह चाहते हैं कि पूर्व ठेकेदार दबंग प्रवती का है अग्रिम तारीख तक हमारे समिति के सदस्यों पर जान माल का खतरा बना हुआ है, पूर्व ठेकेदार से हम लोगों को खतरा है यदि इन दिनों हमारे सदस्यों पर अगर कोई भी अप्रिय घटना होती है तो उसके जिम्मेदार पूर्व ठेकेदार व उनके सदस्य होंगे ।

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