मैथिली कवि कोकिंल गीतकार रविंद्र नाथ ठाकुर पंचतत्व में विलिन भाॅ गेल – पूर्णिया |

संतोष कुमार |
चिट्ठी के तार बुझू बुढिया बीमार बुझु आइ मिथिला रत्न मैथिली कवि कोकिल रचनाकार रविन्द्र नाथ ठाकुर आइ सेहो एहि लोक काॅ छोड़ि परलोक सिंधारि गेलाह जिनकर लिखल मैथिली गीत मिथिलाक आंगन दरबाजा,बाध बोन सभठाम गुंजैत अछि। एक सँ एक गीत – भरि नगरी मे शोर,बौआ मामी तोहर गोर, मामा चांद सन। आ रे चलू भैया चलू ने, माता जे विराजय मिथिले धाम मे। यार दिलदार यार की यऔ भजार यार,शहर में रहि कऽ की देखलौँ की थिक मिथिला के छथि मैथिल, हम कहैत छी जोरे सँ, मिथिला वासी सुनु पिहानी हम कहैत छी तोरे सँ इत्यादि।
मिथिलाक एहि रत्न के मैथिली कवि रवींद्रनाथ ठाकुर के निधन से पूरे बिहार प्रदेश एवं मिथलाचंल में शोक का लहर छा गया है। उक्त जानकारी उनके जेष्ठ पुत्र अवनींद्र नाथ ठाकुर उर्फ बंकूनाथ ने बताया कि बुधवार के अपराह्न 3:00 बजे उनका निधान ईलाज के दौरान सर गंगाराम अस्पताल दिल्ली हो गया। जानकारी के मुताबिक बताया गया कि विगत 3 महीनों से सर गंगाराम अस्पताल दिल्ली में उनका ईलाज चल रहा था। रवींद्रनाथ ठाकुर मैथिली गीत-संगीत फिल्म ममता गाबैय गीत एवं मैथिली में कई कविताएं लिख चुके हैं।राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार से सम्मानित किए गए। रवींद्रनाथ ठाकुर धमदाहा मध्य पंचायत स्वर्गीय केदारनाथ ठाकुर के बाड़ा पुत्र एवं पुत्री ओं में सबसे जेष्ठ पुत्र थे इनके दो पुत्री प्रोफेसर झारखंड में है दमाद प्रोफेसर एवं तीन पुत्र एवं तीन पुत्र वधू संगीत एवं शिक्षा के क्षेत्र में जुड़े हुए हैं एवं पुत्री हिंदी फिल्में संगीतकार है बचपन के मित्रगण हरिवंश नारायण झा कृष्णदेव प्रसाद यादव ने बताया कि रविंद्र जी बचपन से मेधावी लगनशील एव जिद्दी स्वभाव के थे ।जिस काम को ठान लेते उसे पुरा कर दम लेते थे अपने जीवन कई एसे कार्य कर गये जाने बाद भी याद स्वरूप जीवंत छोड़कर गये मैथिली गीत संगीत का रवींद्र महेन्द्र की जोड़ी जिस मंच पर जाते अपने आप श्रोताओ का जमघट लग जाता था । उनका अंतिम संस्कार 2 बजे हरिद्वार में किया गया । उनके बड़े पुत्र अवनींद्र नाथ ठाकुर मुख अग्नि देंगे। अपने पीछे दो पुत्री एवं तीन पुत्र पोत्र से भरल पुरल परिवार छोड़कर
गए हैं। स्वर्गीय रवींद्रनाथ ठाकुर के पैतृक गांव धमदाहा में उनका श्रद्धय कार्य-क्रम किया जाऐगा ।