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मगध क्षेत्र में कला और पुरातत्व पर राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित -नारद: संग्रहालय में आयोजित हुआ कार्यक्रम – नवादा |

रवीन्द्र नाथ भैया |

पुरासम्पदाओं से समृद्धशाली है नवादा जिला, जिसे बचाना समाज का दायित्व है। नारद: संग्रहालय, नवादा एवं इन्टैक गया चैप्टर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एकदिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ करते हुए प्रोफेसर बच्चन कुमार पांडेय ने कहा कि समाज के प्रत्येक लोगों का दायित्व है नवादा जिला के समृद्ध विरासत को समझे तथा इसकी रक्षा करें।
मुख्यवक्ता भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के वरिष्ठ पुरातत्वविद डा. जलज कुमार तिवारी द्वारा पावरप्वाइंट के माध्यम से कतरीसराय, देवनगढ, लारी, ज्वाफरडीह, घोड़ा कटोरा, दामनखंधा, रुक्मिणी स्थान, राजगीर, चंडी मऊ, चौसा आदि पुरास्थलों के उत्खनन से संबंधित जानकारी विस्तार से प्रस्तुत किया गया। इस क्षेत्र की दुर्लभ मूर्तियों के शिल्पों की वारीकी को भी उनके द्वारा प्रस्तुत की गई।
पूर्व संग्रहालयाध्यक्ष डा. अवध किशोर सिंह ने अपने कार्यकाल मे संग्रहालय द्वारा नवादा के पुरासम्पदाओं के संकलन एवं संवर्धन के लिए किये के कार्यों एवं जनसहयोग का विस्तार से उल्लेख किया।
डा. अशोक प्रियदर्शी ने नवादा जिला के पुरातात्विक स्थलों के महत्व एवं उसके संरक्षण द्वारा किये जाने वाले उपायों के विषय में प्रकाश डाला तो डा. निगम भारद्वाज ने नवादा जिला की प्राचीन प्रतिमाओं एवं उसके संरक्षण, संवर्द्धन एवं प्रकाशन के विषय में प्रकाश डाला।


इन्टैक गया चैप्टर के को-कन्वेनर डा. राकेश सिन्हा रवि ने गया जिले पुरातात्विक सर्वेक्षण प्रतिवेदन को प्रस्तुत करते हुए धरोहर संरक्षण के लिए इन्टैक गया चैप्टर द्वारा किये जा रहे प्रयासों का उल्लेख किया।
डा. सचिन मंडिलवार ने इन्टैक के इतिहास एवं धरोहर संरक्षण की दिशा में किये जाने वाले प्रयासों के अलावा मगध क्षेत्र के इतिहास एवं पुरासम्पदाओं के विषय मे जानकारी प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर मनीष सिन्हा ने मगध क्षेत्र की समृद्ध विरासत के साथ साथ बोधगया के ऐतिहासिक महत्व का सिलसिलेवार विवरण प्रस्तुत किया।
इन्टैक गया चैप्टर द्वारा धरोहरों के संरक्षण के लिए किये जा रहे प्रयासों की चर्चा के साथ साथ नवादा में एक चैप्टर स्थापित करने पर बल दिया गया।
कार्यक्रम का संचालन एवं विषय प्रवेश करते हुए संग्रहालयाध्यक्ष डा. शिव कुमार मिश्र ने कहा कि धरोहरों के संरक्षण एवं संवर्धन के साथ साथ आमलोगों में अपनी धरोहरों के संरक्षण के प्रति आमलोगों मे जागरूकता उत्पन्न करना भी संग्रहालय का दायित्व है और इस दिशा मे कार्य प्रारंभ हो गया है। आमलोगों का सहयोग अपेक्षित है। डा. मिश्र के अनुसार प्राचीन प्रतिमाओं के प्रलेखन की दिशा में भी कार्य की जायेगी जिससे जनसहयोग आवश्यक है।
इस अवसर पर बड़ी संख्या मे बुद्धिजीवी एवं धरोहर प्रेमी उपस्थित हुए इनमें सीता राम पांडे, अभिमन्यु पांडेय, सुरेन्द्र कुमार, बिंदुजी ,सुबोध कुमार, ओंकार निराला, सौरभ सुमन,कामेश्वर पासवान, डा अनंत कुमार, सुरेश प्रसाद सिंह आदि प्रमुख थे।
कार्यक्रम में गया, नालंदा, भागलपुर, पटना आदि से शोधार्थीगण तथा पत्रकार शामिल हुए थे। शोधार्थियों को प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया गया।

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