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न मंत्रोच्चार न ही सात फेरे का झंझट, शपथ पढ़कर एक दूजे के हो गये सुषमा व मुन्ना – नवादा |

रवीन्द्र नाथ भैया |
न मंत्रोचार न ही विवाह मंडप व सात फेरे का झंझट, सिर्फ चंद लाइन का शपथ पत्र पढ़कर एक दूसरे के हो गए सुषमा व मुन्ना। हिंदू धर्म की परंपरागत शादियों से भिन्न इस शादी के गवाह बने वर-वधू पक्ष के पारिवारिक सदस्य। घंटों का विधि-विधान की बजाय चंद मिनटों में ही शादी का समापन हो गया। हालांकि यह शादी पहली नहीं थी। मगध के इलाके में ऐसी शादियां होती रहती है। अर्जक संघ के विचारधारा को मानने वाले लोग ऐसी शादियों अपने बच्चों का करते हैं।
शनिवार की रात ऐसी ही शादी हुई नवादा जिले के हिसुआ प्रखंड क्षेत्र में। अर्जक संघ का पर्व मानवता दिवस की पूर्व संध्या पर हिसुआ प्रखंड के महमदपुर टांड निवासी यशकायी राजेन्द्र रविदास की पुत्री व सकलदेव रविदास की बहन सुषमा कुमारी की शादी दोपटा निवासी विशुन रविदास के पुत्र मुन्ना कुमार की। वैदिक परंपरा से हटकर अर्जक पद्धति से शादी संपन्न कराई गई।
विवाह समारोह में अर्जक संघ सांस्कृतिक समिति के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र पथिक ने वर वधू को पति पत्नी के रूप में स्वीकार करने तथा मानव मानव की बराबरी वाले समाज को बढ़ावा देने का प्रतिज्ञा हिंदी में कराई। तदोपरांत वर वधु को शपथ पत्र की प्रति भी दी।
मौके पर श्रीपथिक ने कहा कि लिखंत पढ़ंत में और कम समय, कम खर्च और कम परेशानी में शादी की परंपरा आजादी के बाद अर्जक संघ के संस्थापक महामना रामस्वरूप वर्मा ने 1968 में शुरुआत की। इस कारण यह परंपरा ज्यादा लोकप्रिय हो गया है। उन्होंने कहा कि साहसी लोग ही अंधविश्वास और सामाजिक कुरीतियों तथा शोषण वाली परंपरा को हटाकर मानववादी पद्धति को अपनाते हैं।
संघ के प्रखंड अध्यक्ष अश्विनी कुमार वर्मा की अध्यक्षता में आयोजित समारोह का संचालन अर्जक नेता सकलदेव मांझी ने किया।

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