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10 जून शुक्रवार को मनायी जायेगी ज्येष्ठ माह की निर्जला एकादशी – नवादा |

रवीन्द्र नाथ भैया |

निर्जला एकादशी का व्रत 10 जून शुक्रवार को है। दरअसल प्रत्येक महीने में दो एकादशी पड़ती है। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं।
मान्यता के मुताबिक निर्जला एकादशी का व्रत रखने से श्रीहरि की विशेष कृपा प्राप्त होती है और मनुष्य को सभी प्रकार के पाप कर्म से मुक्ति मिलती है। साथ ही जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
निर्जला एकादशी पर बिना पानी पिए हुए व्रत रखा जाता है। चूंकि निर्जला एकादशी उस समय पड़ती है जब भीषण गर्मी होती है। ऐसे में भक्त कष्ट सहकर भी यह व्रत रखकर भगवान को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। इसबार निर्जला एकादशी के दिन रवि योग बन रहा है। ऐसे में इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। क्योंकि इस एकादशी व्रत को महाबली भीम ने भी किया था।
मान्यता के मुताबिक सालभर में आने वाली सभी 24 एकादशियों में से निर्जला एकादशी का खास महत्व होता है। निर्जला एकादशी के व्रत के दौरान ना कुछ खाया जाता है और ना ही कुछ पीना होता है। निर्जला एकदशी का व्रत सबसे ज्यादा कठिन माना जाता है। अगर आप सालभर में आने वाली 24 एकादशियों का व्रत नहीं रख पाते हैं तो सिर्फ निर्जला एकादशी का व्रत रखने से ही आपको सभी एकादशियों का लाभ मिल जाता है।
निर्जला एकादशी व्रत मुहूर्त:-
निर्जला एकादशी तिथि और व्रत आरंभ:- 10 जून सुबह 07:25 मिनट से निर्जला एकादशी तिथि समापन- 11 जून, शाम 05:45 मिनट पर होगा।
निर्जला एकादशी व्रत पारण का समय 11 जून सुबह 5 बजकर 49 मिनट’ से 8 बजकर 29 मिनट तक।
निर्जला एकादशी पूजा विधि :-
– निर्जला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ कपड़े पहनने के बाद व्रत का संकल्प करना चाहिए।
– सबसे पहले घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करनी चाहिए।
– भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करने के बाद फूल और तुलसी पत्र चढ़ाना चाहिए।
– भगवान को सात्विक चीजों का भोग लगाना चाहिए।
– इसके बाद आरती करनी चाहिए और निर्जला एकादशी व्रत कथा पढ़नी या सुननी चाहिए.

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