जिले में एक ऐसा भी सरकारी स्कूल जहां के बच्चे चला रहे बाल बैंक – नवादा |

रवीन्द्र नाथ भैया |
जिले में एक ऐसा सरकारी स्कूल है जहां के बच्चे बाल बैंक चला रहे. यह सुनने में भले ही अटपटा लगे लेकिन है यह कटु सत्य.
यहां बात हो रही है उग्रवाद प्रभावित जिले के सुदूरवर्ती प्रखंड सिरदला की. यहां के उत्क्रमित मध्य विद्यालय हेमजाभारत के स्कूली बच्चे खुद से एक बाल बैंक संचालित कर रहे हैं. विद्यालय के छोटे-छोटे बच्चों का यह अनोखा बैंक है, जहां बैंकिंग प्रणाली की सभी शर्तें यहां के बाल ग्राहकों पर लागू हाेती है. बाल बैंक में महज 10 रुपये से विद्यालय के बच्चे अपना बैंक खाता खोलवाते हैं. अभी इस बैंक में विद्यालय के 112 ग्राहकों का खाता खुला हुआ है. ये बच्चे अपनी जरूरतों के अनुसार राशि की लेन-देन करते हैं.
100 रुपये तक की राशि निकाल सकते हैं जबकि
कम से कम पांच रुपये तक की राशि अपने खाता में जमा करा सकते हैं. अधिकतम 100 रुपये तक की राशि अपने खाते से निकाल सकते हैं. जरूरत पड़ने पर बैंक अपने बाल ग्राहकों को कर्ज भी देती है.
हां, रियायत यह है कि इसके बदले बाल ग्राहकों को कोई सूद नहीं देनी पड़ती है.कर्ज की राशि किस्त के हिसाब से वापस लौटानी होती है. अधिकतम 500 रुपये तक कोई भी ग्राहक नियमानुसार कर्ज ले सकता है.
कार्यालय के बगल में संचालित है बाल बैंक:-
विद्यालय के कार्यालय कक्ष के बगल में एक कमरा बाल बैंक के लिए उपलब्ध कराया गया है जहां बैंकिंग की सारी लेन-देन होती है. हर दिन ग्राहकों का यहां आना-जाना होता है.
वैसे शनिवार को बाल ग्राहकों की भीड़ कुछ ज्यादा होती है. औसतन हर दिन पांच से छह ग्राहक बैंक पहुंचते हैं. प्रति माह तकरीबन 8 से 10 हजार रुपये तक की जमा-निकासी बाल बैंक के जरिए हो रही है.
विद्यालय के आठवीं के छात्र नीतीश कुमार, ग्राम बसेरिया बतौर बैंक प्रबंधक सारा कामकाज देखते हैं, जबकि सातवीं कक्षा के छात्र अमित कुमार कैशियर का कामकाज संभाल रहे हैं. बाल बैक में जमा रुपये को सुरक्षित रखने के लिए एक आलमीरा रूपी लाकर उपलब्ध है.
समय-समय पर बैंकों के अधिकारी बच्चों को देते हैं ट्रेनिंग:-
विद्यालय के नवाचारी शिक्षक राजेश कुमार भारती बताते हैं कि समय-समय पर बच्चों को बैंकिंग प्रणाली से अवगत कराने के लिए बैंकों के पदाधिकारी विद्यालय पहुंचकर प्रशिक्षण देते हैं. उन्होंने बताया कि दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक की ओर से यहां प्रशिक्षण दिया गया है. बैंक के प्रबंधक नागेंद्र कुमार की ओर से इस बाल बैंक को एक हजार रुपये अग्रिम दिए गए हैं. इसके पूर्व जिला के पूर्व डीईओ ने बाल बैंक को एक हजार रुपये सहयोग के रूप में प्रदान किया था.द
नवाचारी शिक्षक बताते हैं कि बैंक में अभी करीब छह हजार रुपये जमा है. जबकि लोन के लिए अलग से करीब तीन हजार की राशि जमा है.
नवाचार के तहत शुरू की बचत व्यवस्था:-
नवाचारी शिक्षक राजेश बताते हैं कि बाल बैंक की शुरूआत कोरोना काल से पहले साल 2019 में हुई थी, तब से यह निरंतर काम कर रहा है. इससे बच्चों में जहां बचत की समझ विकसित हो रही है वहीं बच्चों की कई जरूरतें भी बैंक पूरा कर रहा है. जरूरत पड़ने पर बच्चे यहां से रुपये निकालकर खेल सामग्री के अलावा पाठ्य सामग्री खरीदते हैं. इससे बच्चों की समझ बढ़ती ही है , फिजुलखर्ची की बुराई से भी बचते हैं.