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भारत की स्वाधीनता की 75 वीं वर्षगांठ आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन – पश्चिम चंपारण |

पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन के रोकथाम के लिए महात्मा गांधी द्वारा बताएं विचार विश्व समुदाय के लिए आज भी प्रासंगिक

सतेन्द्र पाठक |

बेतिया। भारत की स्वाधीनता की 75 वीं वर्षगांठ आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ0 एजाज अहमद अधिवक्ता डॉ0 सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड डॉ0 शाहनवाज अली अमित कुमार लोहिया एवं अल बयान के संपादक डॉ0 सलाम ने संयुक्त रूप से कहा कि आज पूरा देश भारत की स्वाधीनता की 75 वीं वर्षगांठ आजादी का अमृत महोत्सव वर्ष मना रहा है।

महात्मा गांधी ने आज से 105 वर्ष पूर्व बेतिया पश्चिम चंपारण की धरती पर 1917 में चंपारण सत्याग्रह के समय पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन की रोकथाम के लिए लोगों को जागरूक करते हुए कहा था कि पेड़ पौधे हमारे धरोहर हैं। पश्चिम चंपारण की धरती प्राकृतिक संसाधनों से हरी भरी है। प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि वह पर्यावरण के प्रति जागरूक हो एवं इन्हें संरक्षण प्रदान करें, ताकि प्रकृति एवं मानव जीवन के बीच संतुलन बना रहे। इस अवसर पर डॉ0 शाहनवाज अली शोधार्थी बिहार विश्वविद्यालय इतिहास विभाग, अमित कुमार लोहिया एवं डॉ0 एजाज अहमद, डॉ0 सुरेश कुमार अग्रवाल ने संयुक्त रूप से कहा कि बापू ने 105 वर्ष पूर्व चंपारण के लोगों को पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन की रोकथाम के लिए लोगों को जागृत किया था, ताकि जल जीवन एवं जमीन को सुरक्षित रखा जा सके। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पर्यावरण संरक्षण जलवायु परिवर्तन की रोकथाम के लिए किए गए उपाय, स्वच्छता एवं विभिन्न सामाजिक कुरीतियों से मुक्ति के लिए जो संकल्प चंपारण की धरती पर लिए गए थे! नई पीढ़ी के लिए एवं पूरे विश्व समुदाय के लिए मील का पत्थर साबित होगा।

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