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भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी गणेश घोष के जन्म दिवस कार्यक्रम का आयोजन – पश्चिम चंपारण

सतेन्द्र पाठक |

बेतिया। भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी गणेश बोस के जन्मदिवस एवं भारत की स्वाधीनता की 75 वीं वर्षगांठ आजादी का अमृत महोत्सव वर्ष पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों एवं छात्र छात्राओं ने भाग लिया। इस अवसर पर स्वच्छ भारत मिशन के ब्रांड एंबेसडर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ0 एजाज अहमद अधिवक्ता, सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड, डॉ0 शाहनवाज अली, अमित कुमार लोहिया एवं अल बयान के संपादक‌ डा0 सलाम ने संयुक्त रुप से महान स्वतंत्रता सेनानी गणेश घोष एवं अमर शहीदो को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आज ही के दिन 22 जून 1900 को गणेश घोष का जन्म हुआ था। उनका सारा जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित रहा। गणेश घोष एक भारतीय क्रांतिकारी एवं क्रांतिकारी समूह भारतीय रिपब्लिकन आर्मी के अग्रणी सदस्य थे। घोष सशस्त्र प्रतिरोध आंदोलन के सदस्य थे, जिसका नेतृत्व मास्टरदा सूर्य सेन ने किया था। गणेश घोष भारतीय रिपब्लिकन सेना के प्रमुख सदस्यों में से थे, जो चटगांव में एक क्रांतिकारी समूह था। इसमें कई क्रांतिकारी और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी शामिल थे जिन्होंने वर्ष 1930 में प्रसिद्ध चटगांव शस्त्रागार छापे मामले में भाग लिया।

चटगांव जिला उस समय ब्रिटिश भारत का हिस्सा था, वर्तमान में बांग्लादेश में।
1930 के दशक की शुरुआत में गणेश घोष भारतीय रिपब्लिकन सेना के सदस्य बने। भारतीय रिपब्लिकन सेना भारतीय शुभम का आंदोलन का एक क्रांतिकारी समूह था जिसका नेतृत्व सूर्य सेन ने किया था। समूह ने वर्ष 1930 में चटगांव शस्त्रागार पर हमला किया। चटगांव में शस्त्रागार हमला शायद भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास में सबसे आश्चर्यजनक एवं बहादुर क्रांतिकारी प्रयास थे। संघर्ष जो क्षेत्र के युवाओं द्वारा तैयार किया गया था। यह हमला 18 अप्रैल 1930 को भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के शासन के दौरान बंगाल प्रांत के चटगांव से पुलिस एवं सहायक बलों के शस्त्रागार पर हमला करने के लिए किया गया था। भारतीय रिपब्लिकन आर्मी के आंदोलनकारियों का बेतिया पश्चिम चंपारण से गहरा लगाव रहा। विभिन्न अवसरों पर राष्ट्रीय आंदोलन को धारदार बनाने के लिए अधिकारियों ने बेतिया चंपारण किया था।

भारतीय रिपब्लिकन सेना का नेतृत्व मास्टरदा सूर्य सेन ने किया था एवं अन्य प्रमुख सदस्यों में आनंद गुप्ता, अर्धेंदु दस्तीदार, सासंका दत्ता, कल्पना दत्ता, प्रीतिलता वड्डेदार, नरेश रॉय, निर्मल सेन, जीवन घोषाल, अनंत सिंह, तारकेश्वर दस्तीदार, अंबिका चक्रवर्ती, सुबोध रॉय शामिल थे। हरिगोपाल बल (तेगरा), लोकनाथ बल एवं गणेश घोष थे। बाद में वह चटगांव जुगंतर पार्टी के सदस्य बने। क्रांतिकारी गणेश घोष को मुकदमे के बाद वर्ष 1932 में पोर्ट ब्लेयर की सेलुलर जेल में निर्वासित कर दिया गया था। 1946 में जेल से रिहा होने के बाद, घोष राजनीति में शामिल हो गए। गणेश घोष का 94 वर्ष की आयु में 16 अक्टूबर 1994 को कलकत्ता, पश्चिम बंगाल में निधन हो गया। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि भारत की आजादी की 75 वी वर्षगांठ आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष पर पाठ्य पुस्तक में गणेश घोष के जीवन दर्शन को शामिल किया जाए।

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