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नवादा के कुछ नेताओं की नेता प्रतिपक्ष से मुलाकात के बाद बढ़ा सियासी पारा – नवादा |

दो दिनों से सुरर्खियों में है तस्वीरें

रवीन्द्र नाथ भैया |
सोशल साइट पर कुछ तस्वीरें तेजी से वायल हुई है। तस्वीर में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से कुछ नेता मुलाकात करते नजर आ रहे हैं। मिलने वालों की एक जमात है। कुछ नवादा के है तो कुछ नवादा से जुड़े रहे हैं। इस तस्वीर को सबसे पहले राजद के प्रदेश महासचिव अनिल शंकर ने अपने फेसबुक एकाउंट पर पोस्ट किया।
तस्वीर में नेता प्रतिपक्ष के साथ स्वयं पार्टी महासचिव अनिल शंकर तो हैं ही वारिसलीगंज से जिला पार्षद अंजनी सिंह, अंजनी के बड़े भाई संजीव कुमार, वारिसलीगंज प्रखंड मुखिया संघ के अध्यक्ष गौतम सिंह और नवादा के सांसद रहे गिरिराज सिंह के प्रतिनिधि रहे बिट्टू शर्मा दिख रहे हैं। तस्वीर ने जिले खासकर वारिसलीगंज इलाके के राजनीत में नया ट्वीस्ट ला दिया है। सभी लोग राजनीति से जुड़े हैं तो चर्चा का बाजार गरम है। कयासों का दौर जारी है।
इस तस्वीर के बारे में जब अंजनी सिंह से बात की गई तो उनका कहना था कि सामान्य मुलाकात थी। गांव (कुटरी)में यज्ञ था।
ग्रामीणों का प्रस्ताव था कि तेजस्वी यादव को बुलाया जाए। ऐसे में न्योता देने गया था। न्योता उन्होंने कबूल किया, समय भी दे दिया था, लेकिन अचानक व्यस्तता के कारण नहीं आ सके।
जितनी सहजता से जिला पार्षद ने यह बातें बताई राजनीतक पंडित उतनी आसानी से इसे कबूल करने की स्थिति में नहीं है। हमने भी इस मुलाकात के मायने को डिकोड करने का प्रयास किया। समझिए पूरा माजरा है क्या? अंजनी सिंह इन दिनों भाजपा से जुड़े हैं। जिला में कार्यसमिति के सदस्य हैं। इसके पहले जिला उपाध्यक्ष थे।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने उन्हें भाजपा से जोड़ा था। भाजपा से वारिसलीगंज विधायक अरूणा देवी के पति अखिलेश सिंह से काफी छनती है। ऐसे में राजद नेता को न्योता देने के लिए मिलना, सामान्य घटनाक्रम कैसे कहा जा सकता है।
अंजनी कहते हैं कि गांव के युवा वर्ग की चाहत तेजस्वी थे। युवा वर्ग का प्रस्ताव आया तो बुजुर्गों ने भी हामी भर दी थी। तेजस्वी यादव से मुलाकात का समय भी मिल गया तो मिलने पहुंच गए।
इस तस्वीर में दिख रहे कुछ और चेहरे की भी चर्चा कर लें। तस्वीर बताती है कि मुलाकात का समय राजद महासचिव अनिल शंकर के माध्यम से मिला होगा। अनिल शंकर की पहचान बिहार केशरी डॉ. श्रीकृष्ण सिंह के परिवार से है। श्रीबाबू के पुत्र बंदी शंकर सिंह के पौत्र अनिल शंकर हैं। यानि श्रीबाबू के परपोता हैं। बंदी बाबू वारिसलीगंज से दो दफे 1980 से 90 तक विधायक व बिहार सरकार में मंत्री रहे थे।
तो क्या यह वारिसलीगंज विधानसभा में भविष्य के राजनीतिक बदलाव की आहट यह मुलाकत है। नवादा जिले की दो सीटें वारिसलीगंज व हिसुआ कभी भी राजद ने नहीं जीता है। दोनों सीटें राजद के लिए कमजोर कड़ी रही है।
किसी दल से गठबंधन होने की स्थिति में भी राजद ने यह सीट सहयोगी दलों को ही दिया है। चाहे कांग्रेस हो या लोजपा। राजद-लोजपा गठबंधन से अंजनी सिंह 2010 का विधानसभा चुनाव लड़ भी चुके हैं। संभव है, अंजनी राजद में राजनीतिक भविष्य तलाश रहे हैं।
वैसे, राजद महासचिव अनिल शंकर का इंटरेस्ट भी वारिसलीगंज से रहा है। लेकिन, राजद का कांग्रेस से अलग लड़ने की स्थिति में अनिल बरबीघा शिफ्ट हो सकते हैं।
कुल मिलकार, यह कहा जा सकता है कि तेजस्वी से मुलाकात की यह तस्वीर सामान्य नहीं है। कुछ तो खिचड़ी अंदरखाने पक रही है। तेजस्वी को कुछ खास सीटों पर लड़ाके चाहिए, तो कुछ लड़ाके को बढिया प्लेटफार्म।
2020 के विधानसभा चुनाव में नवादा जिले के गोविंदपुर विधानसभा सीट पर राजद का प्रयोग सफल रहा था। वारिसलीगंज में महागठबंधन प्रत्याशी रनरअप रहे थे। भाजपा-कांगेस के बीच जीत हार का फर्क 9 हजार वोटों का रहा था।
बहरहाल, आने वाले दिनों में जिले की राजनीत में क्या गुल खिलता है, सबकी निगाहें टिकी रहेगी। आगे-आगे देखिये होता है क्या?

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