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जीकेसी के स्थापना समारोह के तत्वाधान में समन्वय पर आधारित कला संस्कृति प्रकोष्ठ की प्रस्तुति – नयी दिल्ली |

रवि रंजन |
नयी दिल्ली, विश्व स्तरीय कायस्थ संगठन ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस के दूसरे स्थापना दिवस पर (जीकेसी) कला संस्कृति प्रकोष्ठ ने समन्वय पर आधारित कार्यक्रम का आयोजन किया,जहां जीकेसी के कलाकारों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति देकर समां बांध दिया।
जीकेसी के कला संस्कृति प्रकोष्ठ कार्यक्रम ‘समन्वय’ की परिकल्पना और संचालन जीकेसी कला संस्कृति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय कार्यवाहक अध्यक्ष पवन सक्सेना और जीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय महासचिव श्रीमती शिवानी गौड़ ने तैयार की। इस अवसर पर जीकेसी के कला संस्कृति प्रकोष्ठ के ग्लोबल अध्यक्ष सुप्रसिद्ध कलाकार अंजन श्रीवास्तव ने जीकेसी के स्थापना दिवस पर सभी लोगों को शुभकामना दी।
जीकेसी के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने जीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ को जीकेसी का महत्वपूर्ण प्रकोष्ठ बताया। उन्होंने जीकेसी का यह कार्यक्रम स्वर कोकिला महान पार्श्वगायिका लता मंगेश्कर को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि लता दी आज हमारे बीच नहीं है लेकिन उनके गाये सदाबहार गीत आज भी लोगों को मंत्रमुग्ध कर देते है। संगीत जगत को लता मंगेशकर ने अपना बहमूल्य योगदान दिया था जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है।जीकेसी की प्रबंध न्यासी श्रीमती रागिनी रंजन ने जीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के सभी कलाकारों को सामंजस्य पर आधारित कार्यक्रम करने के लिये धन्व्याद दिया।
जीकेसी कला संस्कृति के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेम कुमार ने जीकेसी के गठन के बाद से कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के हुये कार्यक्रम और आगामी कार्यक्रम के बारे में विस्तृत जानकारी दी। कार्यक्रम के दौरान तारतम्य पर आधारित गीत साथी हाथ बढ़ाना.. पर जीकेसी के कलाकारों ने शानदार प्रस्तुति दी। इसके बाद तालमेल के जरिये दिल है छोटा सा.. शालिनी बैरागी,मुंबई, उठे सबके कदम,कुमार संभव,पटना, दिल ये जिद्दी निहारिका श्रीवास्तव,,नोएडा, ये हौसला – दिव्यांश, दिल्ली .जिंदगी के सफर में गुजर… – अभिकेष वर्मन, मुम्बई ने प्रस्तुति दी। जुगलबंदी के जरिये जीकेसी कला संस्कृति प्रकोष्ठ की रार्ष्टीय उपाध्यक्ष सुप्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना सौमिका श्रीवास्तव और जीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ बिहार के प्रदेश उपाध्यक्ष सुप्रसिद्ध हवाइयन गिटारिस्ट सुबोध नंदन सिन्हा ने प्रेम रतन धन पायो गीत के जरिये जुगलबंदी पेश की। सुबोध नंदन सिन्हा ने रहें ना रहे हम गीत के जरिये भी शानदार प्रस्तुति दी। इसी तरह सामंजस्य के जरिये एक अंधेरा लाख सितारे.. – मृणालिनी अखौरी, रांची,.तुम्हें देखती हूं तो लगता है ऐसे..- शीला गौड़,जबलपुर, किस लिये मैंने प्यार किया शालिनी श्रीवास्तव, रायपुर, यह तो सच है कि भगवान है- अनिल दास पटना ,तू कितनी भोली है – निशा प्राशर पटना ने शानदार प्रस्तुति दी।धन्यवाद ज्ञापन गीत कभी अलविदा ना कहना के जरिये कार्यक्रम का समापन हुआ।
इस अवसर पर ग्लोबल महासचिव अनुराग सक्सेना, ग्लोबल वरिष्ठ उपाध्यक्ष अखिलेश श्रीवास्तव, महिला प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती रचना सक्सेना, कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय सह प्रभारी दीप श्रेष्ठ ,जीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आलोक अवरिल ने भी अपने विचार व्यक्त किये।कार्यक्रम के वर्चुअल संचालन में आइटीम टीम से डिजिटल-तकनीकी प्रकोष्ठ के ग्लोबल महासचिव सौरभ श्रीवास्तव और डिजिटल-तकनीकी प्रकोष्ठ के राष्टीय अध्यक्ष नवीन श्रीवास्तव ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।

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