
रवीन्द्र नाथ भैया |
जिले के ग्रामीण इलाकों की सड़कें खस्ताहाल होकर अब जानलेवा साबित हो रही है। गुरुवार को सड़क में बने गड्ढे के कारण अकबरपुर-नेमदारगंज पथ पर अमांवां गांव के पास टेंपो अनियंत्रित होकर पलट गया और चालक की मौत हो गई। सड़क खराब होने के चलते ऐसी कई घटनाएं हो रही।
दरअसल ग्रामीण इलाकों में आवागमन को सरल बनाने के लिए संपर्क पथ के तौर पर हल्की सड़के बनाई गई है लेकिन इन सड़कों का इस्तेमाल बाईपास के तौर पर हो रहा है और 10-12 टन की जगह 40 से 50 टन वजनी ट्रक दौड़ रहे हैं। खासकर बालू पत्थर जैसे अवैध धंधे में लगे भारी ट्रक नेशनल और स्टेट हाईवे छोड़ कर ग्रामीण इलाकों से होकर भाग रहे हैं। नतीजा हुआ कि सड़कें बनने के कुछ दिन बाद ही खराब होनी शुरू हो गई।
हालात यह है कि जिले के करीब 600 ग्रामीण सड़कों में से करीब 350 सड़कें खराब हो चुकी है। इनमें दर्जनों सड़कें ऐसी है जिसके बने अभी 5 साल भी पूरे नहीं हुए हैं। ऐसी सड़कों की मरम्मत की कवायद चल रही है। जबकि ढाई तीन सौ सड़कें आउट ऑफ़ मेंटेनेंस है यानि इसकी मेंटेनेंस अवधि पूरी हो गई है लिहाजा इसकी मरम्मत भी मुश्किल हो रही है।
यानी कुल मिलाकर कहें तो ग्रामीण इलाकों की सड़कें बदहाल हो गई है। अब आउट ऑफ़ मेंटेनेंस हो चुकी सड़कों की मरम्मत के लिए नया डीपीआर बनाया जा रहा है।
कम क्षमता की गाडि़यों के परिचालन के लिए होती हैं ग्रामीण सड़कें:-
ग्रामीण सड़कों पर दिन-रात होता है भारी वाहनों का परिचालन
ग्रामीण इलाकों में बनी सड़क का निर्माण प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से हुई है। जाहिर है सड़क को ग्रामीणों की व्यवस्था के अनुसार तैयार किया गया है।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत जो सड़कें बनाई जाती है उनकी क्षमता 12 टन तक भार वाली गाड़ियों के गुजरने की ही होती है लेकिन इन सड़कों से तो 40-40 टन भार लेकर गाड़ियां गुजरती हैं इसलिए ये सड़कें बनने के कुछ महीनों बाद ही उखड़ने लगती हैं। लेकिन इस सड़क पर बालू, गिट्टी लोड 10 और 12 चक्का वाला ट्रक चल रहा है। वजनी ट्रकों के चलने के कारण ग्रामीण सड़क टूटकर गड्ढे में तब्दील हो गया है।
क्वालिटी कंट्रोल मॉनिटरिंग के लिए बनाई गई है टीम:-
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना केे अंतर्गत निर्माण कार्य की गुणवत्ता को लेकर निरीक्षण के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत क्वालिटी कंट्रोल मॉनिटरिंग टीम का गठन किया गया है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क के तहत जो भी सड़कों का निर्माण किया जाता है, उसके लिए सड़क की गुणवत्ता की जिम्मेदारी स्टेट क्वालिटी मॉनिटरिंग टीम को दी जाती है। वर्ष 2000 में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना केंद्र चालू की गई थी, जिससे ग्रामीणों का नगर से संपर्क होने के कारण जीवन स्तर में सुधार आ सके। लेकिन अब ये ग्रामीण सड़कें खस्ताहाल हो गई है। जिले की कोई सड़क 20 साल तो कोई 5 साल पुरानी है।
…तो इसलिए ग्रामीण सड़कों को अपनाते हैं माफिया:-
नेशनल हाईवे पर होने वाली वाहन जांच के दौरान पकड़े जाने से बचने के लिए बगैर परमिट वाले वाहन, ओवरलोडेड ट्रक और अवैध परिवहन करने वाले वाहन नेशनल हाईवे को छोड़कर ग्रामीण सड़कों से गुजर रहे हैं। इसके चलते एक तरफ जहां हर दिन लाखों रुपए राजस्व की चोरी हो रही है वहीं ग्रामीण सड़कें बर्बाद हो रही है।
रजौली में सिमरकोल मोड़ से धमनी जाने वाली ग्रामीण सड़क में दिन-रात भारी ट्रक गुजरते हैं। इसी तरह अकबरपुर- नेमदारगंज पथ पर भी ट्रकों की लाइन लगी रहती है।
कहते हैं अधिकारी:-
जिले में करीब 600 ग्रामीण सड़क है जिनमें से करीब ढाई सौ सड़क कि मेंटेनेंस अवधि समाप्त हो गई। इन सड़कों के मरम्मत को लेकर प्रयास किए जा रहे हैं। 45 सड़कों का डीपीआर बनाकर भेजा गया है। स्वीकृति मिलने के बाद काम शुरू होगा। शेष जो सड़क मेंटेनेंस अवधि के भीतर है उन्हें दुरुस्त करने की जिम्मेवारी संवेदक को दी गई है। ग्रामीण सड़कें संपर्क पथ के तौर पर बनाई गई है लेकिन इनका उपयोग कहीं-कहीं बाईपास के तौर पर हो रहा है। शहर के अगल-बगल में भी ऐसी ही परिस्थिति है । कार्यपालक अभियंता, आरडब्ल्यूडी, नवादा: