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अधर में लटका पड़ा है नगर का रोड ओवर ब्रिज, श्रेय लेने की मची थी होड़ – नवादा |

रवीन्द्र नाथ भैया |

नगर केमालगोदाम-मिर्जापुर के पास रेल ओवर ब्रिज का निर्माण अबतक लटका पड़ा है। ऐसा तब हुआ, जब करीब दो माह पूर्व केंद्रीय परिवहन व राजमार्ग मंत्री नीतिन गडकरी द्वारा कहा गया था कि नगर में मिर्जापुर के पास 71 करोड़ की लागत से ओवर ब्रिज का निर्माण कार्य शुरू कराया जा रहा है। मंत्री की इस घोषणा के बाद पुल निर्माण की स्वीकृति का श्रेय लेने की होड़ मच गई थी। इंटरनेट मीडिया व अन्य सोशल साइट पर लोग कई पक्षों में बंट गए थे।
हालांकि, अबतक निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका। जब ख़ोज-खबर लेनी शुरू की तो पता चला कि पुल निर्माण के लिए अभी डीपीआर फाइनल नहीं हुआ है। पुल निर्माण के लिए अधिकृत विभाग BSRDCL (बिहार स्टेट रोड डेवलपमेंट कारपोरेशन) गया कार्यालय के प्रबंधक तकनीकी वैभव सागर से बात की गई।
उन्होंने बताया कि रेलवे की ओर से कुछ ऑब्जर्वेशन आया था, ऐसे में नए सिरे से डीपीआर (डिटेल्स प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनाया जा रहा है। डीपीआर बनने के बाद टेंडर निकाला जाएगा। नए डीपीआर में लागत बढ़-घट सकता है।
मंत्री जी की घोषणा के बाद खूब हुई थी राजनीति:-
मंत्री जी की घोषणा के बाद पुल स्वीकृति का श्रेय लेने की होड़ मच गई थी। इंटरनेट मीडिया व अन्य सोशल साइट पर लोग कई पक्षों में बंट गए थे।
एक पक्ष इस पुनीत कार्य के लिए स्थानीय रालोजपा सांसद चंदन सिंह को बधाई देने लगे। दूसरी ओर गोविंदपुर विधायक मो. कामरान के समर्थक भी इसमें कूदे। पूर्व सांसद गिरिराज सिंह के खैर ख्वाह उन्हें श्रेय देने लगे। हिसुआ के पूर्व विधायक अनिल सिंह समर्थक भी पीछे नहीं रहे। एक और जमात इस श्रेयवाद में आगे आया।
लंबे समय तक रेलवे से जुड़ी मांगों के लिए स्टेशन परिसर में धरना-प्रदर्शन यानि आंदोलन का परिणाम पुल निर्माण की स्वीकृति को बताया गया। यह खेमा पूर्व मंत्री राजबल्लभ प्रसाद का रहा। इस खेमे की बात को धार देते हुए नवादा विधायक विभा देवी ने कहा था कि सांसद अकेले पुल निर्माण की स्वीकृति का श्रेय मत लें।
ब्रिज का निर्माण परिस्थितिजन्य मजबूरी:-
सर्व विदित है कि किउल-गया रेलखंड के दोहरीकरण का काम चल रहा है। 2017 में इस कार्य का शिलान्यास तत्कालीन रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा द्वारा नवादा स्टेशन पर आयोजित समारोह में किया गया था।
उस वक्त केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह नवादा के सांसद थे। इसके पूर्व विद्युतीकरण का काम हो चुका था। रेलखंड के सभी प्रमुख स्टेशनों पर यात्री सुविधा विस्तार किया जा रहा है। प्लेटफॉर्म को विस्तार दिया जा रहा है। दोहरीकरण के बाद लंबी रूट की एक्सप्रेस ट्रेनें चलनी है। ठहराव भी कई प्रमुख स्टेशनों पर होना है। आम तौर पर लंबी दूरी की ट्रेनें 22 से 24 कोच की होती है। लंबी ट्रेन होगी तो ठहराव के लिए प्लेटफार्म भी लंबा होना जरूरी है।
इस रेलखंड का सबसे महत्वपूर्ण स्टेशन नवादा माना जाता है।
वर्तमान स्टेशन व प्लेटफार्म के उत्तर व दक्षिण दिशा में दो रेलवे क्रासिंग हैं। परिस्थितियां ऐसी बनी है कि दोनों क्रासिंग को बंद करने की नौबत आ गई है।
दक्षिण दिशा में खुरी नदी प्लेटफार्म के विस्तार में बाधक बन रहा था। ऐसे में प्लेटफार्म का विस्तार उत्तर दिशा में आउटर सिग्नल की ओर करना पड़ा। प्लेटफार्म का विस्तार उत्तर दिशा में हुआ है ताे मालगोदाम-मिर्जापुर के पास का क्रासिंग बंद करना है। रेल फाटक प्लेटफार्म विस्तारीकण की जद में आ रहा है।
इस क्रासिंग से होकर नवादा-जमुई राज्य उच्च पथ गुजरी है, जो काफी व्यस्त मार्ग है। ऐसे में आरओबी तो बनना ही था। तकनीकी कारणों से सिर्फ काम प्रारंभ नहीं हो रहा था। मंत्री जी की घोषणा के बाद लगा था कि आरओबी का निर्माण कुछ दिनों में शुरू होगा। ऐसे में श्रेय लेने की होड़ मची। अब फिर से काम लटक गया है।
दावे और हकीकत में है कितना दम:-
14 मई 22 को आरा (भोजपुर)में केंद्रीय मंत्री की घोषणा के बाद सांसद समर्थकों ने एक लेटर सोशल साइट पर पोस्ट किया था, जिसमें सांसद द्वारा नगर में जाम की समस्या को देखते हुए बुन्देलखण्ड क्रासिंग और मालगोदाम- मिर्जापुर के पास आरओबी निर्माण की मांग की गई थी।
इस पत्र के जवाब में पुल निर्माण निगम लिमिटेड के वरीय परियोजना अभियंता, कार्य प्रमंडल नालंदा बिहारशरीफ ने 26 मई 20 को ही लिखा था कि नवादा-जमुई पथ पर 3 नंबर स्टैंड के पास पुल निर्माण का कार्य बीएसआरडीसीएल द्वारा किया जा रहा है।
बुन्देलखण्ड क्रासिंग के पास आरओबी की जरूरत है। विभागीय आदेश प्राप्त होते ही निर्माण कार्य हेतु अग्रेतर कार्रवाई की जा सकती है।
साफ है कि पुल निर्माण की स्वीकृती 26 मई 20 के पूर्व मिल चुकी थी।
सांसद ने पुल निर्माण की इस मांग का पत्र 29 जनवरी 20 को लिखा था।बरहाल,मंत्री जी की घोषणा के बाद भी पुल निर्माण का मामला लंबा खींचता दिख रहा है।
ले देकर हमारी समझ यही कहती है कि मालगोदाम के समीप ओवर ब्रिज का निर्माण परिस्थितिजन्य मजबूरी थी। कोई चाहकर भी इसे रोक नहीं सकता था। जब रेलवे क्रासिंग को बंद होना है तो ओवर ब्रिज बनाना ही है। नगर में जाम की समस्या को ले ओवरब्रिज को स्वीकृति नहीं मिली।
हां, जनप्रतिनिधियों की भूमिका को नजरअंदाज नहीं कर सकते। जितना प्रयास किया उसके लिए वे धन्यवाद के पात्र हैं।

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