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दुर्लभ कलाकृतियों काे संरक्षित करने के लिए की गई थी संग्रहालय की स्थापना – नवादा |

संग्रहालय के अस्तित्व पर मंडरा रहा खतरा - संग्रहालय में 5000 से अधिक दुर्लभ वस्तुएं हैं संग्रहित

रवीन्द्र नाथ भैया |

आज से पांच दशक पहले की बात है जब नवादा नगर बुंदेलखंड निवासी स्व रघुराज सिंह व पत्रकार स्व श्याम प्रकाश सिंह के नेतृत्व में मुहल्लेवासियों ने जिले के पहले जिला पदाधिकारी नरेंद्र पाल सिंह को दुलर्भ चीजें सौंपी थी। मुहल्लेवासियों ने शाहजहां के शासनकाल 1630 ई के संरक्षित तलवार, ढाल, कतार आदि जिला मुख्यालय में बनाये जाने वाले नारद: संग्रहालय में सुरक्षित करने के लिए सौंपा था ताकि लोग प्राचीन सामग्रियों का अवलोकन कर प्राचीन इतिहास की जानकारी प्राप्त कर सकें।
26 जनवरी 2023 को नवादा का नारद: संग्रहालय की स्थापना का 50 साल पूरा होनेवाला है, लेकिन संग्रहालय के विस्तार के बजाय उसका अस्तित्व ही खतरे में पड़ता जा रहा है। प्राचीन सामग्रियां म्यूजिमय में धूल फांक रहा है। शोकेस तो हैं, लेकिन उससे ये अस्त्र शस्त्र नदारद हैं।
सुजय भान सिंह, डाॅ. राजीव बुंदेला समेत अनेक लोगों ने कहा कि यह सिर्फ उनके पूर्वजों के साथ अन्याय नहीं है, यह देश और समाज के साथ घोखा है। उनके पूर्वजों ने इस विश्वास के साथ दिया था कि लोग इसे देखेंगे और उन्हें स्मरण रखेंगें। लेकिन यहां ऐसा नहीं हो रहा है। संग्रहालय में संरक्षित करने का जगह नहीं है तब उन्हें लौटा दिया जाय ताकि वे लोग अपने स्तर से प्रदर्शित कर सकें।
संग्रहालय के उपरी तल की छत टूट टूटकर गिर रही:- यह अकेला उदाहरण नहीं है। हिसुआ के नसरतपुर निवासी हीरा लाल बबन जी ने परसियन कवि हाफिज के शेर को चित्र में उतारा था। उसका भी शोकेस है, लेकिन चित्र नहीं है। इसी तरह विदेशी तोते का शोकेस है, लेकिन उससे अनुकृति गायब है। संग्रहालय के उपरी तल पर अवस्थित सभी दीर्घाओं का हाल बेहाल है। निचला तला का उतरी भाग का हाल भी बेहाल है। जहां शोकेस में रखे सांप और नेवला की दुर्लभ अनुकृति नष्ट हो रही है।
दूसरी तरफ, कई दुर्लभ कलाकृतियां और पुरावशेष बेतरतीब ढंग से रख दिया गया है, जो दयनीय हालत में है।तलवार, कटार, ढाल, बंदुक आदि एक टूटा हुआ शोकेस में ढक कर रख दिया गया है। हीरालाल बबन के बनाए तस्वीर भी अस्त व्यस्त रूप से रखा हुआ है। दरअसल नारद: संग्रहालय का उपरी तल काफी जर्जर हो गया है। उपरी तल का छत टूट टूटकर गिर रहा है। कई जगहें बड़ी चटटानें गिरी हुई है। लोग बताते हैं कि बरसात के समय उपरी छत से पानी रिसता है। वह पानी निचले तले में रखी मूर्तियों पर गिरता है। इससे बेसकीमती कलाकृतियां और पुरावशेष नष्ट हो रहे हैं। गौरतलब हो कि नवादा के पहले जिलाधिकारी के प्रयास से इस संग्रहालय की स्थापना की गई थी, जहां 5000 से अधिक दुर्लभ कलाकृतियां हैं।
डेढ़ साल से पड़ा है कला संस्कृति विभाग के पास नक्शा और प्लान:-
भवन निर्माण विभाग ने डेढ़ साल पहले कला संस्कृति एवं युवा विभाग निदेशालय पटना के क्षेत्रीय उपनिदेशक को नवादा के अर्द्धनिर्मित भवन और लंबित भवन विस्तार परियोजना के लिए पत्र लिखा है। लेकिन कला संस्कृति विभाग ने अबतक काेइ पहल नहीं किया है।
07 जुलाई 2021 को मुख्य वास्तुविद अनिल कुमार ने नक्शा और ले आउट प्लान कला संस्कृति विभाग काे भेजा है। गौरतलब हो कि संग्रहालय में करीब 19 लाख की लागत से एक बिल्डिंग का निर्माण शुरू हुआ था, लेकिन वह अधूरा है। जबकि पुराने भवन के उपरी तल पर निर्मित भवन की छत जर्जर हाे गइ है। इसके चलते दुलर्भ सामग्रियाें का प्रर्दशन नही हाे पा रहा है।
जगह के अभाव में सभी सामग्री नहीं प्रदर्शित की जा रही:-
नारद: संग्रहालय के अध्यक्ष डाॅ. शिव कुमार मिश्र ने बताया कि संग्रहालय का उपरी तल जर्जर है, छत से पानी टपकता है। इसके चलते कई शोकेस खराब गया है। उसमें रखी दुलर्भ सामग्रियां खराब हो रही थी, जिसके चलते वह खाली है। फिलहाल, उन सामग्रियों को बाॅक्स में रखा गया है। नए शोकेस लकड़ी के बनाए जा रहे हैं। निर्माण के बाद उन चीजों को जल्द ही प्रदर्शित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि जर्जर भवन की मरम्मति के लिए दिसंबर 2022 में भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता और बिहार के कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के सचिव से आग्रह किया हूं। अनुमति मिलने के बाद दीर्धा की समस्या दूर हो जाएगी।

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