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संयुक्त राष्ट्र शांति सेना मे आगे आए नई पीढ़ी – The new generation came forward in the United Nations Peacekeeping Force

संयुक्त राष्ट्र शांति सेनाओं का 75वीं स्थापना दिवस

संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों का 75 वीं स्थापना दिवस पर 2 वर्षों तक विभिन्न चरणों में विश्व भर में आयोजित किए जाएंगे विभिन्न सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यक्रम

सतेन्द्र पाठक |

बेतिया। सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों का 75 वी स्थापना दिवस पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सर्वप्रथम विगत 75 वर्षों में विश्व शांति एवं मानवता की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक सेनाओ में अपने प्राणों की आहुति देने वाले उन हजारों अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। जिन्होंने विश्व शांति एवं मानवता की रक्षा के लिए विश्व के अनेक हिस्सों में अपने प्राणों की आहुति दी। इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेस्डर ‌सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ0 एजाज अहमद अधिवक्ता, डॉ0 सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड, डॉ0 शाहनवाज अली, अमित कुमार लोहिया, डॉ0 शशि भूषण गुप्ता, वरिष्ठ अधिवक्ता शंभू शरण एवं अल् बयान के संपादक डॉ0 सलाम ने संयुक्त रूप से कहा कि इस मंच के माध्यम से हम संयुक्त राष्ट्र संघ शांति सैनिकों का 75 वी स्थापना दिवस कार्यक्रम का आरंभ किया जा रहा है। जिसे विश्व के अनेक हिस्सों में विभिन्न चरणों में सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यक्रमों के माध्यम से दुनिया भर में 2 वर्षों तकमनाया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने संकल्प 57 / 129 में 29 मई1948 को संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में नामित किया है। यह तारीख वह तारीख है जब 1948 में संयुक्त राष्ट्र न फलस्तीन एवं इजरायल के बीच शांति स्थापित करने के लिए अपने पहले संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन मध्यपूर्व में संचालन आरंभ किया था। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव द्वारा प्रत्येक वर्ष सभी शांति सैनिकों के सम्मान में एक पुष्पांजलि समारोह का आयोजन किया जाता है, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ के झंडे के नीचे सेवा करते हुए अपनी जान गवा दी। संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान अंतरराष्ट्रीय एकजुटता का प्रतीक है, संगठन के उच्च आदर्शों की अभिव्यक्ति का प्रकाशपुंज रहा है। सियरा लियोन से लेकर कंबोडिया तक एवं तिमोर लेस्ते, नामीबिया, अल सल्वाडोर से लेकर विश्व के अनेक देशों में संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों ने अमन का संदेश दिया है। शांति, सुरक्षा और समृद्धि के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सबसे बुद्धिमत्तापूर्ण निवेश का नाम है, संयुक्त राष्ट्र शांति सेना है। संयुक्त राष्ट्र शांति सेनाओं में विश्व के अनेक देशों के साथ भारत एवं ब्राजील का योगदान अतुल्य रहा है। विश्व शांति एवं मानवता की रक्षा के लिए भारत ने प्रथम विश्व युद्ध एवं द्वितीय विश्व युद्ध में अपनी शांति रक्षक सेनाओं द्वारा अभूतपूर्व सफलता पाई है। संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना के बाद भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ शांति सेना के अभूतपूर्व अभियान में भारत की भागीदारी का कोई सानी नहीं है। 1950 से भारत के 2,00,000 सैन्यकर्मियों ने शांति सेना की अनेक मुहिम में अपना योगदान दिया है। किसी देश द्वारा इतनी बड़ी संख्या में सैन्य सहायता प्रदान करने की यह अपनी अनूठी मिसाल है। किसी भी अन्य देश के मुकाबले सैनिकों की यह संख्या सर्वाधिक है। इससे न केवल विश्व में शांति और सौहार्द कायम करने की भारत की गहरी प्रतिबद्धता प्रदर्शित होती है, बल्कि यह भी साबित होता है कि वह संयुक्त राष्ट्र अधिकारपत्र पर कितना विश्वास करता है।

संयुक्त राष्ट्र शांति सेना का गौरवपूर्ण इतिहास लगभग 75 वर्ष पुराना है। 1950 में शांति सेना की स्थापना के बाद भारतीय सेना ने कोरिया युद्ध के दौरान पहली बार शांति अभियान में हिस्सा लिया। 1950-1954 के बीच चले इस युद्ध में शांति सेना में भारतीय मेडिकल कॉर्प्स भी शामिल थे। तत्पश्चात भारत ने 50 से अधिक अभियानों में हिस्सा लिया और उसके 168 सैनिकों ने दिलेरी का परिचय देते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। संयुक्त राष्ट्र के सबसे खतरनाक और चुनौतीपूर्ण मिशन्स, जैसे दक्षिणी सूडान, कांगो, माली, मध्य अफ्रीकी गणराज्य और विश्व के दस अन्य मिशन्स में भारतीय शांति सैनिकों ने अपनी बहादुरी का लोहा मनवाया।

संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में भारत ने अपने जांबाज कमांडरों को भेजा है और यह परंपरा अब भी जारी है और जैसे कि शांति सैनिकों की मांग लगातार बढ़ रही है (वर्तमान में उनकी तैनाती सर्वाधिक है), भारत संयुक्त राष्ट्र से अपने संबंधों को मजबूत करते हुए सैनिकों को बड़ी संख्या में मिशन्स पर भेज रहा है। विश्व के लिहाज से देखा जाए तो जून 2018 में शांति सेना में भारत का तीसरा सबसे अधिक सैन्य योगदान था। दुनिया के अलग-अलग देशों में भारत के 6,000 से अधिक सैन्यकर्मी सेवारत हैं और मानव जीवन की रक्षा में तत्पर हैं। हम आशा करते हैं कि संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्य एवं लक्ष्य के अनुरूप विश्व शांति एवं मानवता की रक्षा के लिए हमारे साथ विश्व की नई पीढ़ी संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक सेनाओं में सम्मिलित होकर मानव जीवन को सुरक्षित करने में महा भूमिका निभाएगी।

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