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 सताधारी नेताओं के लिए खिलौना बन कर रह गया है कुमारबाग में स्थापित स्टील प्रोसेसिंग प्लांट – पश्चिम चंपारण |

बेतिया। पश्चिम चम्पारण जिला के बेतिया मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर स्थित कुमारबाग में स्थापित स्टील प्रोसेसिंग प्लांट सताधारी नेताओं के लिए खिलौना बन कर रह गया है। जब जब चुनाव आता तो चुनावी लाभ के लिए न जाने कितनी बार इसका उदघाटन हो चुका है, लेकिन आज भी यह औधोगिक इकाई हाथ के दांत की तरह खड़ा है। जिससे इस जिला वासियों को अभी तक कोई लाभ होते नजर नहीं आया, जब इस ईकाई की स्थापना की गई और बड़े पैमाने पर जिला से बाहरी लोगों की बहाली कि गई, तो स्थानीय युवाओं को इस प्लांट में रोजगार देने के लिए भाकपा की ओर से अनवरत आंदोलन भी किया गया और बोकारो से आये सेल के अधिकारियों एवं स्थानीय प्रशासन ने स्थानीय युवाओं को उनकी योग्यता एवं क्षमता के अनुसार नौकरी में प्राथमिकता देने की भी बात की लेकिन जब उत्पादन ही शुरू नहीं हुआ तो नौकरी की बात कौन करे, जबकि इस प्लांट के शुरू हो जाने से बडे़ पैमाने पर स्वरोजगार भी मिलने का संभावना प्रबल है जानकर अधिकारियों ने भाकपा के डेलिगेशन से बताया था कि दर्जनों प्रकार के चीजों का उत्पादन यहाँ से होने वाला है जिसके उत्पादन से यहाँ के लोगों को रोजगार मिलेगा और अगल बगल के गांवो में बिजली सड़क शिक्षा स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार की दिशा में प्लांट के मुनाफा की राशि से प्रयास किया जायेगा मुनाफा कौन कहे यहाँ तो बिना उत्पादन हुए ही यहाँ के कर्मचारियों को करोड़ों में भुगतान करना पड रहा है उन्हें बाहर प्रशिक्षण के लिए भेजे जाने पर भी लाखों लाख खर्च किया जा चुका है।
कुमारबाग का स्टील प्रोसेसिंग प्लांट सरकार एवं सताधारियो के लिए सफेद हाथी बन कर रह गया है न तो केन्द्र सरकार संज्ञान ले रही है न बिहार सरकार आखिर कब तक कुमारबाग स्टील प्रोसेसिंग प्लांट के साथ सताधारी लोग आंखमिचौनी का खेल खेलते हुए, इसे अपने वोट का जरिया बनाये रखेंगे। ऐसे तो इस जिला में चल रहे सभी विकास कार्यों को वोट की राजनीति से ही जोडा जा रहा है, चाहे वह छावनी का ओवरब्रिज का मामला हो, मनुआपुल नवलपुर सड़क निर्माण हो।


दशकों से बनकर तैयार कुमारबाग स्टील प्लांट तो अब हमारे राजनेताओं को मुहं चिढा रहा है कि उसमें लगे मशीन उपयोग नहीं होने के कारण जंग खा कर बर्बाद होने के कागार पर है। उक्त जानकारी भाकपा नेता ओम प्रकाश क्रांति ने दिया।
उन्होंने आगे बताया कि क्या इस साल पेश होने वाले बजट में ऐसे औधोगिक ईकाइयों को चालू करने पर कोई विचार होने की संभावना है या फिर 2024 के लोकसभा चुनाव के समय फिर इसके उदघाटन का ढोंग करने की साजिश मात्र ही इस प्लांट की नियति है और स्थानीय लोगों को दिखाने के लिए यह सफेद हाथी जिला में रखा गया है कि वोट वटोर कर सता सुख दिला सके।

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