महिला अस्पताल में प्रसव कराने में लिए जाते हैं हजारों रुपये, सम्बंधित अधिकारी करते है खानापूर्ति – बांदा |

सहजाद अहमद |
बाँदा : यूपी का बाँदा महिला अस्पताल रिश्वतखोरी, लापरवाही और बदसलूकी के लिये हमेशा से ही चर्चा में रहता है । महिला अस्पताल में महिला की प्रसव कराने के लिए 7000 रुपये रिस्वत लेने का मामला सामने आया है । उत्तर प्रदेश की योगी सरकार बड़े-बड़े स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर वादे कर रही है व स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक भी लगातार अस्पतालों में भेषभूषा बदलकर जायजा ले रहे हैं । हालांकि बांदा में काफी अरसे से बाहरी दवाओं का व मरीजों का शोषण देखने और सुनने को मिलता है अभी तक ऐसी कोई भी बड़ी कार्यवाही आला अधिकारियों के द्वारा नहीं की गई है जिससे कि इनको किसी का भय व्याप्त हो सके ।
मामला बाँदा जिला महिला अस्पताल का है जहाँ लक्ष्मी देवी कमासिन क्षेत्र की रहने वाली लछमी देवी नामक महिला को उपचार के लिए महिला अस्पताल बाँदा में प्रसव कराने के लिए भर्ती कराया गया था लेकिन डॉक्टर ने कहा कि इनकी डिलीवरी नॉर्मल नहीं है, ऑपरेशन से होगी, पैसा लगेगा जिसपर लक्ष्मी देवी के परिजनों से जिला महिला अस्पताल में ₹7000 ले लिया गया । महिला जिला अस्पताल का ये पहला मामला नही है, यह सच्चाई जाने के लिए हमने पहला मामला नहीं है हमने कई महिलाओं से बात की है जहाँ महिलाओं ने बताया कि नॉर्मल डिलीवरी होती है तब भी पैसा ले लेते हैं । जबकि जिला अस्पताल में सारी निशुल्क जांच होती । लेकिन सूत्रों से कहा जाये तो डॉक्टरों का कमीशन रहता है पैथोलॉजी से मेडिकल स्टोर से प्राइवेट एंबुलेंस से तुरंत इलाहाबाद रिफर किया जाता है, पैथोलॉजी में दवाई मौजूद होने के बावजूद, दवा बाहर की लिखकर देते हैं, काफी संख्या में महिला मरीजों से जानकारी में बाते सामने आई है की महिला अस्पताल बाँदा का स्टॉफ व डॉक्टर महिलाओं को इलाहाबाद रिफर करते हैं, आखिर क्यों काफी दिनों से हम सुनते आ रहे थे कि आज तक जितने भी बच्चे सीरियस हुए हैं सभी बच्चों को इलाहाबाद ही क्यों रिफर किया जा रहा है, क्या झांसी में हॉस्पिटल नहीं है, क्या कानपुर में हॉस्पिटल नहीं है, क्या लखनऊ में हॉस्पिटल नहीं है, सिर्फ इलाहाबाद ही क्यों, क्योंकि उनका कमीशन इलाहाबाद के मेडिकल स्टोरों में भी बंधा है ।
हालांकि महिला जिला अस्पताल के स्टाफ व डॉक्टरों की बात की जाए तो उनका मरीजों के साथ भी रवैया वह बातचीत का तरीका सही नहीं है । यदि कोई ज्यादा सवाल जवाब करता है तो उसको फटकार सुनने को मिलती है । इस पूरे प्रकरण में जब हमने मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ सुनीता सिंह से प्रकरण के बारे में जानकारी चाहिए तो उन्होंने कहा कि इसकी मुझे जानकारी नहीं है, आप लोगों के द्वारा ही इस बात की जानकारी मुझको मिल रही है इसकी जांच कराकर कार्यवाही की जाएगी । अब बांदा जनपद के तेज़ तर्राफ जिलाधिकारी अनुराग पटेल व योगी सरकार में डिप्टी सीएम व स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक इस खबर के बाद क्या कार्यवाही करते हैं यह तो अब देखने की बात है ।