
रवीन्द्र नाथ भैया |
जिले के उग्रवाद प्रभावित कौआकोल प्रखंड के पांडेय गंगौट गांव में प्रेम, सौहार्द व भाईचारे का प्रतीक दो दिवसीय मड़ही पूजा खुशनुमा माहौल में शनिवार को शुरू हुआ। मड़ही पूजा में मजहबी दीवार इस कदर टूटी कि जाति-धर्म, कौउ हिंदू, कौन मुसलमान का भेद खत्म हो गया।
एक ही चादर को एक तरफ हिंदू ने तो दूसरी तरफ मुस्लिम समुदाय के लोग पकड़कर सूफी संत की समाधि पर चढ़ा रहे थे। यहां सिर्फ आस्था, श्रद्धा और समर्पण दिख रहा था।
सूफी संत वारिस पाक और संत शिरोमणि पंचबदन सिंह उर्फ महंथ बाबा की पुण्यस्मृति में आयोजित इस मड़ही पूजा में शरीक होने के लिए देश भर से श्रद्धालु पांडेय गंगौट पहुंचे हैं।
सर्व प्रथम सूफी भजन से बाबा की आराधना कर पूजा समारोह की शुरुआत की गई। इस पूजा की खासियत रही है कि इसमें शामिल होने तथा मन्नतें मांगने के लिए हर सम्प्रदाय के लोग पहुंचते हैं। इसी का नतीजा है कि पूजा के दौरान यहां मजहब की दीवार टूट जाती है। सभी सरकार वारिस पाक की खिदमत में समर्पित रहते हैं।
पूजा में शामिल होने के लिए देश के कोने- कोने से वारसी धर्मावलंबी श्रद्धालुओं का आना लगातार जारी है।
ऐसी मान्यता है कि यहां जिस भी श्रद्धालु ने सच्चे मन से आकर बाबा की दरबार में माथा टेका है सरकार वारिस पाक ने सभी की मुरादें अवश्य ही पूरी की हैं। इसी का नतीजा है कि पाण्डेयगंगौट स्थित मड़ही में प्रत्येक वर्ष आषाढ़ मास की 18वीं तिथि को आयोजित होने वाले इस पूजा में देश के कोने कोेने से श्रद्धालु पहुंच कर बाबा के दरबार में माथा टेकते हैं एवं चादरपोशी करते हैं।
पूजा को लेकर साफ सफाई,सुरक्षा व्यवस्था एवं रोशनी की पुख्ता व्यवस्था की गई है। इस दौरान श्रद्धालुओं की मनोरंजन के लिए पूजा स्थल परिसर में तरह तरह के ऐतिहासिक नाट्य मंचन,सूफी भजन, कौव्वाली एवं लोक नृत्य की व्यवस्था आयोजकों द्वारा की गई है।
पूजा में शामिल होने दूर दराज से पहुंचने वाले मेहमानों के लिए ठहरने एवं भोजन की व्यवस्था पूजा आयोजकों द्वारा की गयी है। मड़ही पूजा को सफल बनाने में समस्त ग्रामीणों का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। ग्रामीणों की मानें तो सिद्ध संत झुनकी बाबा भी मडही पूजा में आते थे। वे जबतक जीवित रहे मड़ही पूजा में आते रहे। उन्होंने महंथ जी से मांस का सेवन छोड़ने का अनुरोध किया था, तब महंथ जी ने कहा था हम छोड़ देंगे लेकिन जब आप खाने लगेंगे तब.
वारिस पिया को चाहने वाले सूफी संत पंचवदन बाबा की ख्याति दूर -दूर तक फैली थी। लोग बताते हैं कि वे हर किसी की समस्याओं को दूर करते रहते थे। उनके चाहने वाले अपनी किसी भी समस्या को लेकर जाते थे तो उनके समस्या का निराकरण अवश्य होता था।
स्थानीय लोगों की मानें तो मड़ही में लोग अपनी मन्नतें मांगने के लिए चिट्ठी लिखकर समाधि के पास रखते हैं। श्रद्धालु चिट्ठी में अपनी समस्याएं लिखकर बाबा से मिन्नतें करते हैं।
फिहलाल, पूजा को ले पांडेय गंगौट सहित आसपास के गांवों का माहौल भक्तिमय बना हुआ है।