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धान काटने के लिए नहीं मिल रहे मजदूर, किसान परेशान – नवादा |

जिले में मजदूरों के लगातार पलायन से किसानों की चिंता बढ़ने लगी है. किसानों की चिंता का कारण खेतों में तैयार धान की फसल को खलिहान तक लाने की है. धान की फसल खेत में ही झड़ने से किसान पहले से ही चिंतित नजर आ रहे हैं.
दलालों व ठेकेदारों द्वारा प्रतिदिन दूसरे राज्यों के ईंट भट्ठों के मालिकों से मोटी रकम लेकर स्थानीय अधिकारियों की मिली भगत से मजदूरों के पलायन में सहयोगी बनते जा रहे हैं. इस कारण धान की कटनी पर असर पड़ता दिख रहा है. धान की बाली पूरी तरह तैयार होकर कटने के इंतजार में है. ऐसी स्थिति में कटाई नहीं होने पर उपज में कमी होने की आशंका बनी हुई है.
धान फसल की कटाई समय पर नहीं होने की स्थिति में कई तरह के रोग मसलन सुखाड़, हल्दिया, बाली का झड़ना आदि की संभावना उत्पन्न होने लगी है.
मजदूरों का स्वरोजगार पर जोर:-
मजदूरी करने वाले परिवारों में भी पढ़ाई करने की ललक पैदा हो गयी है. पढ़े-लिखे मजदूरों का युवा वर्ग मजदूरी करने के बजाय रोजी-रोजगार की जुगत में खेती से शहर की ओर रुख कर रहे हैं. ऐसे लोग स्वयं व अपने परिवार के सदस्यों को स्वरोजगार करने का दबाव बनाने लगे हैं. इसके अलावा मनरेगा सहित अन्य विकास योजना का काम करना पसंद करते हैं. ऐसी स्थिति में दिन व दिन मजदूरों की कमी होती जा रही है.
मजदूरों की आर्थिक स्थिति में सुधार होने से भी इस पर असर पड़ रहा है. मजदूर वर्ग के लोग अब पट्टा, बटैया व चौरहा पर खेत लेकर स्वयं खेती करने लगे हैं. इसका भी असर साफ दिख रहा है.
यांत्रिकरण ही मात्र विकल्प:-
खेती बारी के लिए मजदूर नहीं मिलने की समस्या कोई अस्थायी नहीं है. यह समस्या कम होने के बजाय बढ़ती जा रही है. ऐसी स्थिति में किसानों के समक्ष एक मात्र विकल्प यांत्रिकीकरण रह गया है. जो काम कई मजदूरों द्वारा दस दिनों में किया जायेगा, यह कार्य कृषि यंत्र घंटों में कर रहा है. अब खेती करने से लेकर जुताई, कटाई में भी कृषि यंत्रों का उपयोग किसान के लिए लाभकारी है. मजदूरों की कमी किसानों को नहीं खलेगी

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