
रवि रंजन |
18 मई को नालंदा के बिहारशरीफ की धरती से लोजपा (रा.) बहुजन समागम करके दलितों के बीच चेतना का शंखनाद करने जा रही है। इसको लेकर लोजपा (रा.) के प्रवक्ता मनीष सिंह, अनुसूचित जाति प्रकोष्ट अध्यक्ष परशुराम पासवान एवं पूर्व विधायक डॉ श्यामदेव पासवान ने बिहारशरीफ लोजपा कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मीडिया को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से जातिगत जनगणना को लेकर दलितों को जागरूक किया जाएगा।
लोजपा प्रवक्ता ने कहा कि हमारी पार्टी लंबे समय से जातिगत जनगणना की मांग करते रही है। उसी का प्रतिफल है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा जातिगत जनगणना कराने की घोषणा की गई। हमारी पार्टी चाहे पक्ष में रही हो या विपक्ष में जातिगत जनगणना कराना हमारा कोर एजेंडा रहा है। इसके लिए हमारे कार्यकर्ता सड़कों पर पुलिस की लाठी खाकर खून बहाए हैं। जातिगत जनगणना सामाज में व्याप्त हर तरह की विषमता को जानने का एक्स-रे टेस्ट है। इससे सामाजिक स्तर पर जो भी कमी रह गई है उसे दूर करने में मदद मिलेगी।
मनीष सिंह ने कहा कि हमारे नेता दिवंगत रामविलास पासवान चाहे काका कालेलकर कमीशन हो, मुंगेरीलाल कमीशन हो या मंडल कमीशन हो उसे लागू कराने के लिए सड़क से लेकर संसद तक संघर्ष किए थे। विश्वनाथ प्रताप सिंह द्वारा पिछड़े समाज को आरक्षण दिलवाने में रामविलास पासवान की बहुत बड़ी भूमिका थी। वीपी सिंह के सबसे भरोसेमंद साथी रामविलास पासवान ही थे। जातिगत जनगणना को लेकर कुछ लोग भ्रम की स्थिति पैदा करना चाहते हैं। कांग्रेस पार्टी का चरित्र हमेशा से सामाजिक न्याय विरोधी रहा है। दक्षिण भारत और महाराष्ट्र के पिछड़े समूह ने जब पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार से अपना हक मांगना शुरू किया तो पंडित नेहरू मामले को ठंडा करने के लिए काका कालेलकर कमेटी का गठन किए। लेकिन पंडित नेहरू तो क्या कांग्रेस की किसी सरकार ने उसे लागू नहीं किया।
लोजपा प्रवक्ता ने जोड़ देकर कहा कि राजद आज सामाजिक न्याय विरोधी ताकतों की गोद में खेल रही है। मंडल कमीशन की रिपोर्ट को कूड़ेदान में डालने वाली कांग्रेस के साथ गलबहियां करने के लिए लालू परिवार को बहुजन समाज कभी माफ नहीं करेगा। बिहार के लोग भूले नहीं हैं कि किस तरह कांग्रेस पार्टी ने बाबू जगजीवन राम को प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया था! चिराग पासवान आज की तारीख में पूरे देश में दलितों की उम्मीद बनकर उभरे हैं। बिहार की जनता के लिए चिराग पासवान आखिरी उम्मीद हैं। अगर चिराग पासवान को मौका दिया जाएगा तो वे बिहार को प्रगति के पथ पर ले जाने के लिए तैयार हैं।